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Rajasthan Education: राजस्थान में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत चुने गए हजारों बच्चों को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। आइए जानते हैं क्या है उनकी परेशानी।

Rajasthan Education: शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत चुने गए कम आय वाले परिवारों के हजारों बच्चों के सपने अब खतरे में है। दरअसल चयन और वास्तविक प्रवेश के बीच भारी अंतर देखने को मिल रहा है। शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड की हालिया जांच के मुताबिक जिले में एक चिंताजनक स्थिति सामने आई है। यहां हजारों बच्चों ने आरटीआई कोट के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनमें से बहुत कम ही सीट हासिल कर पाए हैं।

चौंकाने वाले आंकड़े 

आपको बता दें कि पूरे जिले के 502 निजी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए मात्र 16496 बच्चों ने आरटीआई अधिनियम के तहत प्रवेश के लिए आवेदन किया था। हालांकि विभाग की जांच और स्कूल स्तर पर अस्वीकृति के बाद लॉटरी प्रणाली के जरिए सिर्फ 3705 बच्चों का ही चयन किया गया। इसे शुरुआती उम्मीद के बावजूद मात्र 1945 बच्चों को ही प्रवेश मिला। इस वजह से 1760 बच्चे स्कूल से वंचित रह गए।

आरटीआई अधिनियम के मुताबिक सभी निजी स्कूल 6 से 14 साल की आयु के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए अपने 25% सीट आरक्षित रखेंगे। इसका उद्देश्य सभी के लिए समावेशी शिक्षा और समान अवसरों को सुनिश्चित करना है। लेकिन इसके बावजूद भी बड़े पैमाने पर आवेदनों को  अस्वीकार किए जाने की वजह से अभिभावकों में निराशा है। 

राज्यव्यापी संकट 

यह चिंता सिर्फ एक जिले तक की सीमित नहीं है।  दरअसल मार्च में राज्य सरकार ने आरटीआई के अंतर्गत आवेदन आमंत्रित किए थे और पूरे राज्य में 3 लाख से ज्यादा आवेदन जमा हुए थे। अप्रैल को आयोजित लॉटरी में 80000 बच्चों का चयन हुआ। लेकिन चयन के बाद भी अभिभावक बिना के लिए समाधान के शिक्षा विभाग के कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं। अधिकारियों द्वारा जारी आदेश लागू नहीं होते और साथ ही शक्तिशाली निजी स्कूल लॉबी के सामने व्यवस्था पंगु दिखाई देती है। 

सरकारी आदेश और कानूनी लड़ाई 

उपसचिव राजेश दत्त माथुर ने इस बात की पुष्टि की है कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा आईटीआई के अंतर्गत चयनित बच्चों को प्रवेश देने से इनकार करने की कई शिकायत आई है। उच्च न्यायालय के एक अंतरिम आदेश में कक्षा एक में प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया बल्कि सिर्फ कक्षा pp3 की शुल्क प्रतिपूर्ति पर रोक लगाई गई। 

सरकार ने अपील दायर करने और सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए कि वह नियमों का पालन न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन और प्रभावी बना हुआ है। इसी बीच राजस्थान बीकानेर के प्राथमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने भी अधिकारियों को सरकारी आदेशों का पालन करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं की गई।

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