rajasthanone Logo
Jaipur Ki Jyonar: पिंक सिटी जयपुर में आज कुल 50 हजार से अधिक लोगों को देसी घी में बने राजस्थान का मशहूर दाल-बाटी-चूरमा का भोजन कराया जाएगा। 110 वर्ष बाद यह ऐतिहासिक परंपरा आयोजित की जा रही है।

Jaipur Ki Jyonar: राजधानी जयपुर में आज एक बार फिर 110 वर्ष बाद ऐतिहासिक परंपरा आयोजित की जा रही है। रियासत काल से चलती आ रही इस परंपरा में शहर के हजारों लोगों को भोजन कराया जाता है। आज जयपुर में कुल 50 हजार से अधिक लोगों को देसी घी में बने राजस्थान का मशहूर दाल-बाटी-चूरमा का भोजन कराया जाएगा। 

यहां आयोजित किया जाएगा कार्यक्रम 

जानकारी के लिए बता दें कि यह कार्यक्रम जयपुर के सांगानेरी गेट के पास स्थित अग्रवाल कॉलेज ग्राउंड में आयोजित किया जाएगा। यहां एंट्री केवल कूपन से मिलेगी। दरअसल, यह परंपरा राजा महाराजाओं के समय से चलती आ रही है। पुराने समय में राजा अपनी प्रजा को भोज पर आमंत्रित करते थे, जिसे ज्योणार कहा जाता है। इस दिन शहर के सभी वर्ग के लोग, व्यापार मंडल, मंदिर मठों के पंडित, साधु, संत और आमजन सभी एक साथ खाना खाते थे। 

दो दिन से तैयार किया जा रहा है भोजन 

गौरतलब है कि 11 जुलाई को जयपुर हेरिटेज की महापौर कुसुम यादव की ओर से पूजा कर रसोई की शुरुआत की गई थी। पिछले दो दिनों से हलवाइयों की टीम भोजन की तैयारी में जुटी हुई है। इस कार्य के लिए कुल पांच सौ हलवाई की टीम जुटी हुई है। साथ ही रसोई की शुद्धता का भी ध्यान रखा जा रहा है। 

ये भी पढ़ें:- Rajasthan Festival Rituals: राजस्थान के इस समाज में नहीं मनाया जाता 733 साल से रक्षा बंधन, जानें क्या है कारण

क्यों मनाया जाता है ज्योणार?

इस त्यौहार को मनाने के पीछे का कारण है राजा महाराजाओं की जीत। पहले जमाने में जब भी कोई राजा या महाराजा किसी युद्ध में विजय प्राप्त करते थे, तब पूरे नगर में सामूहिक भोजन का आयोजन किया जाता था। इस साल भी राजस्थान सरकार द्वारा डेढ़ साल की उपलब्धियों के उपलक्ष्य में आमजन के साथ यह परंपरा एक बार फिर निभाई जा रही है। इसके लिए भट्टी पूजन के साथ पंडाल भी सजा दिए गए है। खास बात यह है कि एक साथ हजारों लोगों को पंगत में बैठाकर भोजन कराया जाएगा।

5379487