Sawan 2025: श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। इस माह शिवलिंग का निर्माण करना काफी शुभ माना जाता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको पार्थिव शिवलिंग से जुड़ी जानकारी के बारे में बताएंगे।
मानेष्वर महादेव मंदिर
जयपुर में स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिर मानेष्वर महादेव मंदिर में पंडितों द्वारा सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी पंडित चंद्रशेखर श्रीमाली और पंडित अमित ओझा के सान्निध्य में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण अनुष्ठान शुरू किया गया। यहां पूरे सावन में सुबह शाम भगवान की खास पूजा और आरती की जाती है। इस दौरान दूर-दूर से भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं।
क्यों बनाई जाती है पार्थिव शिवलिंग?
पंडित हनुमान श्रीमाली ने जानकारी दी कि सावन में पार्थिव शिवलिंग का खास महत्व है। शिव महापुराण के अनुसार जो व्यक्ति इसका निर्माण करता है उसकी मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर कूच करने से पूर्व भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थी। साथ ही माना जाता है कि कुष्मांडा ऋषि के बेटे मंडप ने कलियुग में भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थी।
कैसे बनाई जाती है पार्थिव शिवलिंग?
पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किसी खास तीर्थ स्थल या पवित्र स्थान की मिट्टी से किया जाता है। इस मिट्टी में गंगाजल, पंचामृत, गाय का गोबर व राख मिलाया जाता है। खास बात यह है कि इसके निर्माण के दौरान शिव मंत्र का जाप करना जरूरी होता है।
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पार्थिव शिवलिंग की पूजा कैसे करें?
पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते समय भगवान शिव का मंत्र जाप करें और साथ में बेलपत्र, आक का फूल, बेल और धतूरा चढाएं। इसके बाद शिवलिंग पर दूध व गंगाजल मिलाकर अर्पित करें। अब भगवान को प्रसाद अर्पित करते हुए आप अपनी मनोकामनाएं मांग सकते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों के सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं। सपरिवार पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने से पूरा परिवार सुखी रहता है। साथ ही पार्थिव शिवलिंग के सामने महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भक्त के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।