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Bavaliya Baba: राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बुगला में जन्मे परमहंस गणेशनारायण बावलिया बाबा के आशीर्वाद से बिड़ला परिवार उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर पाया है। देशभर में आज बाबा की महिमा गुणगान हो रहा है।

Bavaliya Baba:  झुंझुनूं जिले के बुगला में जन्मे परमहंस गणेशनारायण बावलिया बाबा राजस्थान के महान संतों व विद्वानों में से एक थे। बचपन में बाबा ने अपनी तपस्या और भक्ती के बल से कई सिद्धियां प्राप्त की थी। राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे देश में आज भी बाबा का गुणगान होता है। 

गुढ़ागौडज़ी की पहाडियों पर की थी तपस्या 

नवरात्रि में तपस्या में व्यवधान आ जाने के कारण वे घूमते फिरते गुढ़ागौडजी पहुंच गए थे। यहां उन्होंने 13 महीने तक तपस्या की थी। जिसके बाद जसरापुर के श्मशानों नें भी वे रहे थे। चिड़ावा में उन्होंने अघोरी रूप घारण किया और भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गए। वे मां भगवती दुर्गा के परम उमासक थे और हर समय दुर्गा मंत्र बीज ड ड ड का जाम करते थे। कहा जाता है कि उनके मुख से निकली सभी बातें सच हो जाती थी। इसी चमत्कार से उनके कई पर भक्त बन गए थे। 

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आशीर्वाद से बिड़ला बने भारत के बड़े उद्योगपति

बाबा ने चिंड़ावा के निवासियों को कई चमत्कार दिखाए थे, उनके परम भक्तों में से एक थे पिलानी के सेठ जुगल किशोर बिड़ला। पिलानी से रोजाना वे चिड़ावा बाबा के दर्शन के लिए आते थे। वे बाबा के दर्शन किए बिना भोजन ग्रहण नहीं करते थे। उनकी इस सेवा से खुश होकर बाबा ने बिड़ला को हमेशा चालू रहने का आशीर्वाद दिया था।

उन्होंने बाबा से कई बार पिलानी चलने का आग्रह किया था, लेकिन वे चिड़ावा को छोड़कर कभी कहीं नहीं गए। इसी कारण से बिड़ला ने उनकी याद में संवत 1959 में जोहड़ खुदवाकर एक घाट का निर्माण कराया था। साथ ही उसके उपर एक गणेश लाट नाम की स्तूप भी बनवाई थी। बाबा ने इस स्तूप को देखकर बताया था कि यह एक दिन शिक्षा मगरी बनेगी। माना जाता है कि बाबा ने जिसे भी आशीर्वाद दिया वह धन्य हो गया। देशभर में आज बाबा की महिमा गुणगान हो रहा है। चिड़ावा और बुगाला के लोगों द्वारा बावलिया बाबा को ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है। 

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