Rajasthan News: दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार बम विस्फोट की जाँच के बीच, गुजरात एटीएस ने तीन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है, जिनसे शुरुआती पूछताछ में एक बड़े खतरे का पता चला है। गिरफ्तार आतंकवादियों ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने हथियार राजस्थान के सीमावर्ती जिले हनुमानगढ़ से प्राप्त किए थे। गुजरात एटीएस के डीआईजी ने खुद एक प्रेस वार्ता में पुष्टि की कि बरामद हथियार हनुमानगढ़ के रास्ते लाए गए थे। इस बड़े खुलासे से सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।
एटीएस टीम गुजरात रवाना
राजस्थान से सीधे आतंकवादी संबंध सामने आने के बाद, राज्य पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) तुरंत हरकत में आ गया है। राजस्थान एटीएस की एक विशेष टीम तुरंत गुजरात के लिए रवाना हो गई है। यह टीम गिरफ्तार आतंकवादियों से गहन पूछताछ करेगी। जाँच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि राजस्थान में कौन से स्थानीय व्यक्ति या स्लीपर सेल हथियारों की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हैं।
4 वर्षों में 60 ड्रोन तस्करी के मामले
बीएसएफ और राजस्थान पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि सीमा पार तस्करी में ड्रोन का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ा है। 2021 से अब तक ड्रोन से तस्करी के 60 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 56 मामले अकेले श्रीगंगानगर सीमा से और 4 मामले बीकानेर सीमा से हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ड्रोन अब केवल ड्रग्स (हेरोइन) का परिवहन ही नहीं करते, बल्कि तस्करी के तरीके भी चार स्तरों में विकसित हो गए हैं: पहला, केवल ड्रग्स, दूसरा, ड्रग्स और हथियार, तीसरा, ड्रग्स, हथियार, नकली मुद्रा और विस्फोटक।
भारतमाला मार्ग तस्करों के लिए 'सुरक्षित गलियारा' बना
एजेंसियों की जाँच से पता चला है कि हनुमानगढ़ से होकर गुजरने वाला भारतमाला मार्ग अब ड्रग्स और हथियारों की तस्करी का एक सुरक्षित गलियारा बन गया है। यह सड़क पंजाब के अमृतसर से शुरू होकर राजस्थान से गुजरात तक जाती है। तस्कर इस सड़क के कई हिस्सों पर स्थायी चौकियों और गहन निगरानी की कमी का फायदा उठा रहे हैं, जिससे बड़ी खेप आसानी से राजस्थान से निकल जाती है।
पंजाब से राजस्थान में स्थानांतरित हुआ नेटवर्क
खुफिया जानकारी के अनुसार, पहले पाकिस्तान से ड्रोन के ज़रिए पंजाब सीमा पर खेप गिराई जाती थी। हालाँकि, 2022 में पंजाब की निगरानी और ड्रोन पहचान प्रणाली के मज़बूत होने के बाद, तस्करों ने अपना पूरा नेटवर्क राजस्थान सीमा पर स्थानांतरित कर दिया। श्रीगंगानगर की लंबी और कम आबादी वाली सीमा और उसके विशाल खेत व फार्महाउस तस्करों के लिए वरदान साबित हुए।
सीमा पर 24 घंटे कड़ी निगरानी ज़रूरी
ये खेपें ज़मीनी स्तर पर एक स्थानीय नेटवर्क द्वारा पहुँचाई जा रही हैं, जिसमें कुछ किसान और मज़दूर भी शामिल हैं, जिन्हें पैसे का लालच दिया जाता है। सुरक्षा एजेंसियों के सामने अब सबसे बड़ा ख़तरा यह है कि मादक पदार्थों की तस्करी की आड़ में देश में हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति की जा रही है। राजस्थान की 1,048 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अब 24 घंटे गहन निगरानी की सख़्त ज़रूरत है।