Maharaj Ganga Singh: भारत की आजादी से पहले देश में कई अकाल पड़े। इनमें से सबसे भयानक छप्पनिया अकाल था। इस अकाल ने भारत के उत्तर पश्चिमी राज्य खासतौर पर बीकानेर रियासत को लगभग तबाह ही कर दिया था। उस वक्त महाराजा गंगा सिंह की उम्र मात्र 19 साल थी। लेकिन उस संकट के दौरान उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए जिसने बीकानेर के भविष्य को एक अच्छा मोड़ दिया।
कौन थे महाराजा गंगा सिंह
13 अक्टूबर 1880 को जन्मे महाराजा गंगा सिंह का जन्म बीकानेर के 20 वे शासक महाराजा लाल सिंह के घर हुआ था। जब गंगा सिंह मात्र 8 साल के थे तब उनके पिता लाल सिंह का निधन हो गया था। पिता के निधन के 1 साल बाद ही 1888 में उन्होंने गद्दी संभाल ली थी। कम उम्र होने के बावजूद भी उन्होंने मुश्किल समय में काफी शानदार नेतृत्व किया।
छप्पनिया अकाल
स्थानीय राजस्थानी कैलेंडर में संबंध 1956 के नाम से जाने जाने वाला यह अकाल काफी भयंकर था। इस काल के दौरान सूखा, फसल की बर्बादी और काफी भारी मात्रा में भुखमरी फैली थी। इस मुश्किल की घड़ी में महाराजा गंगा सिंह ने दीर्घकालिक सिंचाई समाधान की योजना बनानी शुरू कर दी थी।
उन्होंने पंजाब में सतलुज नदी से पानी बीकानेर के शुष्क भूमि तक लाने के कई प्रयास किए। वर्षों तक लगातार प्रयास करने के बाद 1927 में गंग नहर शुरू की गई। इस कदम के बाद लोगों का जीवन ही बदल गया।
गंग नहर की मुख्य विशेषताएं
गंग नहर की लंबाई लगभग 445 किलोमीटर है। इसके स्रोत हुसैनीवाला हेडवर्क्स, सतलुज नदी, फिरोजपुर और पंजाब है। इससे फायदा बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर को होता है।
विश्व मामलों में बढ़ती प्रमुखता
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गंगा रिसाला, जो की महाराज गंगा सिंह की ऊंट पर सवार रेजीमेंट थी, ब्रिटिश सेना के साथ लड़ाई लड़ी थी। इसके बाद महाराज गंगा सिंह ने 1919 में पहले से शांति सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था और चेंबर ऑफ प्रिंसेस के संस्थापक सदस्य रहे थे।