Rajasthan Fort: राजस्थान के किले आज भी दुनियाभर में अपनी अनूठी चित्रकला के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां सालाना लाखों सैलानी इन विभिन्न चित्रकलाओं को देखने और इनके बारें में जानने के लिए दूर दराज से आते हैं। आज इस लेख में हम बात करने वाले है। बूंदी शहर के दुगारी के गढ़ में बनी चित्रशाला, जहां की दीवारें आज भी रामायण की कथा सुनाती हैं।
शहर के प्रसिद्ध तारागढ़ की चित्रशाला के बारें में तो दुनिया जानती है, लेकिन दुगारी के गढ़ की चित्रशाला के बारे में काफी कम लोग जानते हैं। यहां की खूबसूरत चित्रकला को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। 450 साल पुराना दुगारी गढ़ कनक सागर झील के पास स्थित एक पहाड़ी पर बना हुआ है, आज भी इस गढ़ के अंदर लगभग तीन सौ साल पुराने चित्र मौजूद हैं। इस महल की हर दीवार मुंह बोलती हैं। सदियों पुराना होने के बावजूद आज भी महल की दीवारें रामायण की कथा सुना रही हैं।
किले से जुड़ा इतिहास
सामरिक महत्व दुगारी के पूर्व महाराजा राजेंद्र सिंह दुगारी ने जानकारी दी कि लगभग 17वीं सदी के दौरान दरबार श्रीजी उम्मेदसिंह ने यह किला अपने तीसरे पुत्र सरदार सिंह को दिया था। जिसके बाद वह नाराज होकर जयपुर के दरबार चले गए थे। वहां उन्हें टोडाभीम की जागीर सौंपी गई थी, लेकिन बाद में वे वापस बूंदी आ गए थे।
यहां आकर उन्हें वापस उनकी दुगारी दे दी गई थी। उन्होंने टोड़ा की जागीर से मिले धन से किले में चित्रशाला का निर्माण कराया था। वहीं किले की दीवारों पर रामायण की कथा की चित्रकारी कराई गई थी। साथ ही यहां पर एक बगीचे का भी निर्माण कराया गया था, जहां चंदन के विशाल पेड़ लगाए गए थे। उस समय दुगारी एक महत्व फोर्ट हुआ करता था, क्योंकि यह किला जयपुर राज्य के बॉर्डर पर हुआ करता था। साथ ही यहां से रणथंभौर भी लगभग एक-सवा घंटा दूर था।