Robotic Surgery: जयपुर के एसएमएस एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है जल्द ही एसएमएस में रोबोट द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट किया जाएगा आपको बता दें कि यह ऑपरेशन अक्टूबर के पहले हफ्ते में शुरू होगा। इस बीच एसएमएस मेडिकल कॉलेज में यूरोलोजी डिपार्टमेंट के एचओडी और सीनियर प्रोफेसर डॉ शिवम् प्रियदर्शी ने बताया कि अभी हम उत्तर भारत में सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसफर करने वाला इंस्टिट्यूट बन गए हैं। वहीं यहां पिछले 10 सालों में 600 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। यहां अभी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अत्यधिक रोबोटिक मशीन उपलब्ध है। ऐसे में कोशिश है कि आने वाले समय में किडनी ट्रांसप्लांट उपलब्ध रोबोट के माध्यम से किया जाए।
छोटा चीरा लगाकर होगी सर्जरी
इसके साथ ही डॉक्टर ने आगे बताया कि फिलहाल अभी किडनी ट्रांसप्लांट सामान्य सर्जरी की तरह होती है। इसमें मरीज को चीरा लगाया जाता है और उसके ऑपरेशन में लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है। ऐसे में किडनी लेने वाले मरीज को 15 से 20 सेमी तक का चीरा लगाया जाता है। वहीं किडनी देने वाले को 7 सेमी तक का चीरा लगाकर किडनी बाहर निकाली जाती है। ऐसे में कोशिश रहेगी कि आने वाले 4 अक्टूबर को यहां पर पहली रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी होगी। जहां दोनों ही मरीज यानी किडनी देने वाले और लेने वाले को केवल 4 से 6 सेमी का चीरा लगाया जाएगा और यह काम रोबोट के माध्यम से होगा।
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जल्दी रिकवरी होगी और कम दिन रहना पड़ेगा अस्पताल
इसके साथ ही डॉक्टर ने आगे बताया कि इस रोबोटिक सर्जरी के लिए दिल्ली से एक सीनियर सर्जन आएंगे, जिनकी निगरानी में यह पूरी सर्जरी होगी। इस सर्जरी का फायदा यह होगा कि मरीज को छोटा चीरा लगेगा और ऐसे में रिकवरी बहुत जल्दी होगी। जहां सामान्य सर्जरी में किडनी लेने वाले को तकरीबन 15 दिन हॉस्पिटल में ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है। वहीं किडनी देने वाले को 5 से 7 दिन तक अस्पताल में रखना पड़ता है। ऐसे में रोबोटिक सर्जरी से 7 से 8 दिनों में किडनी लेने वाले और 3-4 दिन के लिए किडनी देने वाले को रखा जाएगा।