PKC ERCP Project: राजस्थान के जल ढांचे में एक बड़ा विकास होने जा रहा है। दरअसल राम जल सेतु लिंक परियोजना के तहत सवाई माधोपुर जिले में बनास नदी पर एक नया बांध बनाया जाएगा। इस परियोजना के बाद सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और औद्योगिक विकास के मामले में काफी ज्यादा फायदा मिलेगा। भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
क्या है पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना
यह योजना तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बजट सत्र के दौरान राजस्थान सरकार के जरिए शुरू की गई एक पहल है। शुरुआत में यह परियोजना 13 जिलों को कर कर रही थी लेकिन अब इसका विस्तार 21 जिलों तक हो गया है। ईआरसीपी को दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों से अतिरिक्त बारिश के पानी को राज्य के शुष्क दक्षिण पूर्वी जगह में पहुंचने के लिए डिजाइन किया गया है।
पीकेसी परियोजना की भूमिका
दरअसल केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने 2004 में विकसित पार्वती-काली सिंध-चंबल लिंक परियोजना ने ईआरसीपी कि नींव रखी थी। इस परियोजना में पार्वती, नेवज और काली सिंह नदियों से अधिशेष जल को चंबल नदी तक मोड़ने का प्रस्ताव रखा गया था। ईआरसीपी को राजस्थान की आवश्यकताओं के अनुसार ही बनाया गया है। अभी पीकेसी-ईआरपीसी एकीकरण जल की कमी के मुद्दों को हल करने और कृषि उत्पादकता में सुधार लाने में मदद करेगा।
किन जिलों को मिलेगा फायदा
इस परियोजना से 21 जिले लाभान्वित होंगे। झालावाड़, बारां, कोटा, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, दौसा, अलवर, खैरथल तिजारा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली बहरोड ,अजमेर, ब्यावर, शाहपुर, केकड़ी, टोंक और दूदू।
परियोजना क्रियान्वयन और समय सीमा
यह परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में 4 साल लगेंगे। नवनेरा बैराज से बिलासपुर और इसरदा तक पानी पहुंचाया जाएगा। इस चरण में रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नौनेरा और मेज नदी पर नहर प्रणाली और पंपिंग स्टेशनों का निर्माण भी शामिल है।
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