Bhiwadi Waterlogging: भिवाड़ी जिला प्रशासन पिछले 2 सालों से शहर को प्रभावित करने वाली लगातार जलभराव की समस्या के समाधान के लिए अपने प्रयास को और भी तेज कर रहा है। इसके लिए पांच प्रमुख परियोजनाओं वाली एक व्यापक योजना को तैयार किया गया है जिसका उद्देश्य जल भराव की समस्या के अलग-अलग पहलुओं का समाधान करना है। इसके लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिए गए हैं और कार्यान्वयन से पहले अनुमोदन की प्रतीक्षा की जा रही है।
जल भराव की समस्या के समाधान के लिए पांच आयामी दृष्टिकोण
मसानी बांध तक पाइप लाइन
आपको बता दें कि धारूहेड़ा मोड टी पॉइंट से मसानी बांध तक 6.5 किलोमीटर लंबी आरसीसी पाइप लाइन को बिछाया जाएगा। इसका व्यास 6 वर्ग मीटर होगा। इसी के साथ आपको बता दें कि इस परियोजना की अनुमानित लागत 200 करोड़ रुपए है।
थड़ा नाले में जल स्थानांतरण
आपको बता दें कि बाईपास टी पॉइंट से थड़ा नाले तक 7.5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन को बिछाने का प्लान तैयार किया जा रहा है। इसे 11 मीटर की ऊंचाई के अंतर को दूर करने के लिए बाईपास और बस स्टैंड पर पंपिंग स्टेशनों द्वारा समर्थित किया जाएगा। इसकी लागत 36 करोड़ रुपए अनुमानित की गई है।
ग्वालदा में उपचारित सीवरेज जल
इसी के साथ 34 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित जल को 30 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन के जरिए ग्वालदा पहुंचाया जाएगा। इस जल का दोबारा से उपयोग कारखाने, हरित क्षेत्र और सड़कों पर छिड़काव के लिए किया जाएगा। इसके लिए अनुमानित लागत 70 करोड़ रुपए है।
50 वर्षीय जल निकासी योजना
इसी के साथ एक दीर्घकालिक जल निकासी रणनीति तैयार की गई है। इसमें निभीडी में 400 बीघा भूमि तक पानी को पहुंचाना, एक प्राकृतिक झील का निर्माण, 10 एमएलडी एसटीपी, 14 इनफिल्ट्रेशन टैंक, आठ प्रमुख नालों का चौड़ीकरण और आरएचबी की 5 हेक्टेयर भूमि पर एक वाटर प्लाजा का निर्माण शामिल है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 355 करोड़ रुपए है।
सारे खुर्द में वर्षा जल का मार्ग परिवर्तन
इसी के साथ अन्य परियोजना में टी पाइप के जरिए बारिश के पानी को 14 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के माध्यम से सारे खुर्द में 25 सेक्टर सरकारी भूमि तक पहुंचाना शामिल है। इसके बाईपास और बस स्टैंड पर दो पंपिंग स्टेशन होंगे। इसकी लागत 100 करोड रुपए होने का अनुमान है।
निवेश और प्रभाव
इन सभी परियोजनाओं की अनुमानित लागत 50 करोड़ से 350 करोड़ रुपए तक है। आपको बता देंगे एक बार लागू होने के बाद इन परियोजनाओं की मदद से भिवाड़ी में जल भराव में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। इसी के साथ औपचारिक जल का कुशलता पूर्वक दोबारा से इस्तेमाल होने के साथ-साथ भूजल स्थल में भी सुधार होने की उम्मीद है।
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