Rajasthani Food : राजस्थान न सिर्फ अपनी संस्कृति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। बल्कि अपने खान-पान के मामले में भी विशेष पहचान रखता है। यहां का न सिर्फ दाल बाटी चूरमा,लाल मांस,गट्टे की सब्ज़ी,राजस्थानी कढ़ी इसके अलावा भी यहां की कचौरी भी बेहद लोकप्रिय है। राजस्थान के रगो में कूट कूट कर रसोई की खुशबू बसी है। राजस्थान में एक ऐसी जगह मौजूद है जहां कचौड़ी पीस से नहीं बल्कि किलो के हिसाब से बेची जाती है। नसीराबाद जो राजस्थान के अजमेर से 22 किलोमीटर दूरी पर बसा हुआ है यह जगह ऐतिहासिक छावनी के रूप में प्रसिद्ध है। नसीराबाद का नाम आते ही में यहां के कचौरे का जिक्र भी आता है। नसीराबाद अपने पारंपरिक भोजन और अनोखे स्वाद के कारण विदेशों में भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
नसीराबाद की पहचान बन चुके हैं कचौरे
नसीराबाद में बनने वाले कचौरे यहां के जीवन शैली का हिस्सा बन चुका है। कचौरों का स्वाद खाने में इतना बेहतरीन होता है कि दूर-दूर से लोग इसे खाने के लिए खींचे चले आते हैं। सुबह के नाश्ते से लेकर शाम के खाने तक के लिए लोग आते हैं।
कचौरे का वजन किलोग्राम में होता है
कचौरे की बनाने की विधि कचौरे को आलू और उड़द की दाल की मिश्रण से तैयार किया जाता है। कचौरे की साइज की बात करें तो एक कचौरे का साइज 10 से 12 इंच का होता है। कचौरे का वजन करीब 600 से 650 ग्राम जितना होता है। जो खाने में बेहद लाजवाब होता है।
नग के हिसाब से नहीं किलो के हिसाब से बेचा जाता है
नसीराबाद में बनने वाले कचौरे पीस के हिसाब से नहीं बल्कि किलो के हिसाब से बेचा जाता है। इसको खाने के लिए ग्राहकों की भीड़ उमड़ी रहती है। नसीराबाद के मुख्य बाजार रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर इसकी सबसे ज्यादा बिक्री होती है। इसकी मांग को देखते हुए अब इसकी बिक्री ऑनलाइन भी होती है।