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Sri Ganganagar Barfi: आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं राजस्थान की उस बर्फी के बारे में जिसका स्वाद बॉलीवुड वालों को भी पसंद आता है। आईए जानते हैं पूरी जानकारी।

Sri Ganganagar Barfi: राजस्थान का श्रीगंगानगर एक ऐसी मिठाई के लिए मशहूर है जो कई बॉलीवुड कलाकारों को भी काफी ज्यादा पसंद आती है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसकी मांग विदेश तक भी है। यह कोई फैंसी मिठाई नहीं है। बल्कि सीधी सादी मिठाई बर्फी है। आईए जानते हैं ऐसा क्या है इस बर्फी में खास। 

रेवाड़ी बर्फी की मीठी विरासत 

दरअसल श्रीगंगानगर में दो तरह की बर्फी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है एक है रेवाड़ी बर्फी और दूसरी है केसरी सिंहपुर बर्फी। अभी हम बात करेंगे रेवाड़ी बर्फी की। रेवाड़ी बर्फी की कहानी 1958 में शुरू हुई। दरअसल हरियाणा के रेवाड़ी के एक पारंपरिक हवाई छोटेलाल सैनी श्रीगंगानगर आकर बस गए। यह उन्होंने गोल बाजार में एक दुकान खोली। यहां पर वह एक समय प्रशिक्षित रेसिपी लेकर आए थे। यह रेसिपी थी बर्फी की। आज उनके पोते प्रदीप सैनी रेवाड़ी मिष्ठान भंडार चलते हैं। वह आज भी इस पारंपरिक विधि का इस्तेमाल करके मिठाई को तैयार कर रहे हैं। यह बर्फी 3 घंटे में 10 किलो बनती है। इसको बनाने के लिए सबसे पहले दूध से मावा तैयार किया जाता है। इसके बाद उसमें चीनी मिलाकर मिश्रण को अच्छी तरह से गूंध लेते हैं। अब इसमें इलायची पाउडर डालने के बाद मिश्रण को जमने के लिए रख देते हैं। जब यह जम जाता है तो उसे बर्फी के शेप में काट लेते हैं और बस आपकी मिठाई तैयार है। 

गंगानगर से बॉलीवुड तक 

यह बर्फी न सिर्फ स्थानीय लोगों की पसंद है बल्कि इसने बॉलीवुड का भी ध्यान आकर्षित किया है। अभिनेता और निर्माता सोहम शाह जो की श्रीगंगानगर के मूल निवासी हैं अक्सर इस मिठाई के लिए अपना प्यार सजा करते रहते हैं।  एक बार वें इसे कपिल शर्मा शो के सेट पर लेकर आए थे। वहीं उन्होंने इस मिठाई को कपिल शर्मा, अजय देवगन और अर्चना पूरन सिंह को खिलाया। उन्हें इसका स्वाद काफी ज्यादा पसंद आया। 

केसरी सिंहपुर बर्फी

श्री गंगानगर से थोड़ी ही दूरी पर केसरी सिंहपुर शहर है। यहां एक खास किस्म की बर्फी बनाई जाती है। इसकी शुरुआत ज्ञानचंद सिंधी ने की थी। ज्ञानचंद सिंधी मिंटगुमरी जो की अब  पाकिस्तान में है, सिर्फ पलायन करके भारत आए थे। उन्होंने मथुरा के पेड़ से प्रेरित होकर मिठाईयां बनाना शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने यह मिठाई एक छोटी सी गाड़ी से बेचनी शुरू की। लेकिन जल्दी ही यह  एक पहचान बन गई और इसी तरह केसरी सिंह पुर बर्फी का जन्म हुआ ‌। आज उनकी इस विरासत को उनके बेटे उमेश चला रहे हैं। वह गोल बाजार में स्पेशल बर्फी हाउस के नाम से एक दुकान चलाते हैं।  शुरुआत में बर्फी का आकार पेड़े जैसा ही था लेकिन जब लोगों को यह पसंद आने लगी तो उमेश ने  इसे एक अनूठा आकार देने की सोची। उन्होंने ऐसे बिस्कुट की तरह पतला कर दिया और बनाने की प्रक्रिया को भी बेहतर बनाया। 

अंतरराष्ट्रीय मांग 

इन दोनों बर्फियों की मांग वैश्विक स्तर पर पहुंच गई है। इन्हें  जर्मनी, कनाडा, यूके और दुबई जैसे देशों में भेजा जाता है। त्योहार और धार्मिक अवसरों के दौरान उनकी मांग काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

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