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Rajasthan Villages: आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं राजस्थान के कुछ ऐसे गांव के बारे में जो पर्यटन आकर्षण से काफी दूर हैं। आईए जानते हैं यहां की खास बात।

Rajasthan Villages: राजस्थान को हम उसकी जीवंत परंपराएं और वीरों की भूमि के नाम से जानते हैं। पूरे साल यहां पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं यहां की कुछ ऐसी जगहों के बारे में जिन्हें लोग लगभग भूल ही गए हैं। आईए जानते हैं इन कम मशहूर गंतव्यों के बारे में। 

रूसी रानी गांव 

यह गांव उदयपुर से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यह गांव दो हजार साल पुराना है।  यहां की परंपरा और सादगी पर्यटन की लिस्ट से काफी दूर है। अगर आप राजस्थान के ग्रामीण परिवेश को जानना और समझना चाहते हैं तो आप यहां जरूर आ सकते हैं। कोयले के चूल्हे पर खाना बनाना और  शीशे से सजे घरों वाले संकरी गलियों में टहलते हुए आपको एक अनोखा अनुभव मिलेगा।  यहां आपको महाभारत काल के समय के खंडहर भी देखने को मिलेंगे। 

बिश्नोई गांव 

यह गांव जोधपुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव लगभग 500 साल पुराना है। आपको बता दें कि इस गांव के लोग प्रकृति प्रेम के लिए काफी जाने जाते हैं। बिश्नोई 29 पवित्र सिद्धांतों पर चलते हैं। इनमें से वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण पर मुख्य ध्यान दिया जाता है। जब आप यहां आएंगे तो यहां आपको काले हिरण खुलेआम घूमते नजर आएंगे। यह एक ऐसा गांव है जहां आपको इंसानों और वन्य जीवों के बीच एक प्रेम देखने को मिलेगा। 

नारलाई 

यह गांव उदयपुर से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पुनर्निर्मित हवेलियां यहां के इतिहास का मूक बखान करती हैं। यहां की प्राचीन बावड़ी में लोग मोमबत्ती की रोशनी में रात्रिभोज भी करते हैं। अगर आपको रोमांच पसंद है तो आप यहां के एलीफेंट हिल पर ट्रैक भी कर सकते हैं। यहां आसपास कई प्राचीन गुफाएं भी हैं। 

मंडावा 

यह गांव शेखावाटी क्षेत्र में जयपुर से 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह दुनिया की सबसे बड़ी ओपन एयर आर्ट गैलरी के रूप में जाना चाहता है। इस जगह 18 वीं सदी के व्यापारियों ने कई हवेलियों का निर्माण करवाया। यह हवेलियां भित्ति चित्रों से ढकी हुई है। हर एक दीवार एक अलग कहानी बयां करती है। 

आभानेरी 

यह गांव जयपुर से 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अपने वास्तुकला के अजूबों के कारण जाना जाता है। इस गांव की खास बात यहां की दसवीं सदी के हर्षत माता का मंदिर और भारत की सबसे गहरी बावड़ियों में से एक चांद बावड़ी है। इस बावड़ी में तेहरा मंजिलें और 3500 सेबी ज्यादा सीढ़ियां है।

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