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Meera Mahal Of Rajasthan: आज हम आपको बताने जा रहे हैं राजस्थान के एक ऐसे संग्रहालय के बारे में जो मीराबाई को समर्पित है। आईए जानते हैं क्या है यहां की खास बात।

Meera Mahal Of Rajasthan:  मेड़ता एक शांत और ऐतिहासिक आकर्षण से भरा शहर है। यह शहर भारत के सबसे प्रिय संतों और कवियों में से एक मीराबाई की विरासत को अपने अंदर संजोए हुए हैं। आईए जानते हैं क्या है यहां की खास बात। 

क्या है मेड़ता का इतिहास 

मीराबाई का जन्म जोधपुर के संस्थापक राव जोधा की पोती के रूप में हुआ था। शाही वंश में जन्मी मीरा के जीवन ने काफी कम समय में आध्यात्मिक मोड़ ले लिया। जब उनकी मां का निधन हुआ तो मीरा को भगवान कृष्ण की शरण में सांत्वना मिली। इसके बाद मीरा ने भगवान श्री कृष्ण को अपने शाश्वत जीवनसाथी के रूप में स्वीकार कर लिया।

कुछ वक्त बाद उनका विवाह चित्तौड़ के राजकुमार भोजराज से कर दिया गया। लेकिन इस विवाह के बावजूद भी मीराबाई का दिल और आत्मा श्री कृष्ण को ही समर्पित रहा। उन्होंने अपने प्रेम को भजनों और कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया। धीरे-धीरे में महलों के जीवन से दूर होते गए और भक्ति की दुनिया में चली गई। ऐसा कहा जाता है कि 1557 में द्वारका में परमानंद में गाते हुए मीराबाई आध्यात्मिक और शारीरिक  रूप से श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ विलीन हो गई। 

मीरा महल का इतिहास 

मेड़ता के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है मीरा महल। यहां मेरा भाई के जीवन काल से जुड़ी हुई सभी यादें और कहानियों को संरक्षित करके रखा हुआ है। इन सभी संरक्षित की हुई चीजों को एक छोटे से संग्रहालय में रखा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि आज भी इस संग्रहालय में मीराबाई की मौजूदगी महसूस होती है। 
इस संग्रहालय में मीराबाई से संबंधित पेंटिंग, आदमकद मूर्तियां और व्यक्तिगत कलाकृतियां शामिल हैं। इस महल के अंदर एक छाया उद्यान भी है। कहा जाता है की छाया उद्यान के पास मीराबाई के जीवन की प्रमुख घटनाएं घटित हुई है। 

चतुर्भुज जी मंदिर 

इस महल को थोड़ी की दूरी पर एक शानदार मंदिर स्थित है जिसे चतुर्भुज जी मंदिर कहते हैं। यह मंदिर मीराबाई और भगवान श्री कृष्ण के बीच के बंधन को खूबसूरती से दर्शाता है। इस मंदिर में श्री कृष्ण जी की चार भुजाओं वाली एक मूर्ति स्थापित है जिसके सामने मीराबाई की मूर्ति कुछ इस तरह से स्थापित की गई है कि उनकी आंखें हमेशा एक दूसरे को देखती हैं।

मेड़ता कैसे पहुंचे 

मेड़ता जाने के लिए आप जोधपुर और पुष्कर जैसे प्रमुख शहरों से आसानी से जा सकते हैं। जोधपुर से यहां की दूरी मात्र 3 घंटे की है। आप राज्य परिवहन की बसें भी इस्तेमाल कर सकते हैं।  चतुर्भुज जी मंदिर सुबह और दोपहर दोनों वक्त खुला रहता है। आप यहां पर फोटोग्राफी भी कर सकते हैं।

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