Sujangarh Haweli: राजस्थान के चुरू जिले के बीच में जल की काफी दिक्कत है। लेकिन इसी के बीच एक आश्चर्यजनक नखलिस्तान खामोशी के साथ पनप रहा है। इसका नाम है सुजानगढ़ शहर। जिस ओर इस क्षेत्र का एक हिस्सा नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों की अनुपस्थिति से ग्रस्त है, वहीं दूसरी ओर सुजानगढ़ प्राचीन जल संचयन प्रणाली की बदौलत हमेशा से हाइड्रेटेड रहा है।
पानी की नहीं है कोई भी कमी
सुजानगढ़ की हवेलियां डेढ़ सौ साल से भी पुरानी है। इनकी खास बात यह है की इनकी छत नहीं है बल्कि छत जैसी दिखने वाली एक विशाल भूमिगत टैंक या दूसरे शब्दों में कहे तो कुंड है। ये कुंड वर्षा का जल इकट्ठा करते हैं और संग्रहित करते हैं। भारत के सबसे शुष्क जिलों में से एक में भी इस पारंपरिक विधि के बदौलत एक जल भंडार बन चुका है।
हजारों लोगों के लिए पानी का भंडार
दानमल चौधरी हवेली, रामपुरिया हवेली, बोरद हवेली और डागा हवेली विशाल जल भंडारण प्रणालियों के लिए एक वस्तु कला रत्न हैं। इन हवेलियों की छत जल ग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करती हैं। ये टैंक 6 महीने तक 1000 लोगों की सेवा करने की क्षमता रखते हैं।
17 लाख लीटर पानी आता है
यहां का सबसे बड़ा टैंक सांखला बास क्षेत्र में भगवाना राम जाखड़ के निवास में स्थित है। यह 70 फीट लंबा, 30 फीट चौड़ा और 30 फीट गहरा है। इसमें अंदर जाने के लिए सीढ़ियां लगती है। इन टैंक में 17 लाख लीटर पानी आता है। यह कुंड लगभग 150 साल पुराना है और आज भी हजारों लोगों को पानी उपलब्ध कराता है।
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