Parshuram Jayanti 2025: भगवान विष्णु के छठे अवतार कहे जाने वाले भगवान परशुराम की जयंती इस साल 29 अप्रैल को देशभर में धूमधाम से मनाई जाएंगी। भगवान परशुराम के प्रसिद्ध मंदिरों में इस दिन यात्रा, भजन, यऋ और मेला आयोजित किया जाता है। उन्हें मंदिरों में से एक है राजस्थान का प्राचीन परशुराम महादेव मंदिर जहां स्थित गुफा के बारे में कहा जाता है कि इस गुफा को भगवान परशुराम ने अपने फरसे से स्वयं बनाया था।
भगवान ने स्वयं किया था फरसे का निर्माण
राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ गांव के समीप स्थित परशुराम महादेव मंदिर देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है। पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान परशुराम ने अपने फरसे से इस गुफा मंदिर का निर्माण किया था। यहां की खास बात यह है कि इस मंदिर में स्थित स्वयंभू शिवलिंग की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3600 फीट हैं।
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भगवान परशुराम ने यहां किया था भगवान शिव का ध्यान
माना जाता है कि इस जगह पर बैठकर भगवान परशुराम ने अपने पापों का प्रायश्चित कर भगवान शिव का ध्यान किया था। यहां की कठिन चढ़ाई यहां के एक अनूठे रहस्य से जुड़ी हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने तपस्या से खुश होकर उन्हें धनुष और अक्षय तरकश दिया था। इनकी खास बात यह है कि इसकी बाण कभी खत्म नहीं होती हैं व धनुष का निशाना भी कभी नहीं चूकता है।
मंदिर से जुड़ी 5 रोचक बातें
1. मंदिर में स्थित शिवलिंग कोई साधारण शिवलिंग नहीं, माना जाता है कि यह स्वयंभू है, जो खुद जमीन से निकली है।
2. गुफा के एक अंदर आपको एक बारहमासी जल स्त्रोत दिखाई देगा, माना जाता है कि यहां लगातार पानी तपटता है और भगवान का जलभिषेक करता। मान्यता है कि इस पानी से स्नान करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं।
3. खास अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। साथ ही आगामी 29 अप्रैल को परशुराम जयंती के मौके पर भजन, अनुष्ठानों व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन भी किया जाएगा। इस दौरान भक्त भारी संख्या में यहां पहुंचते हैं।
4. मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को घने जंगलों और चट्टानी इलाकों से होकर गुजरना पड़ता है। साथ ही करीब 500 सीढ़ियों की चढ़ाई कर भक्त भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
5. जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान सरकार की ओर से इस मंदिर को संरक्षित विरासत स्थल में शामिल किया गया है। यहां की वास्तुकला, प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के चलते इसे यह दर्जा दिया गया है।