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Budha Kheda Bhomiya Ji: आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं राजस्थान के एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां ना तो कोई मूर्ति है ना ही कोई पुजारी। यहां पर पूजा होती है एक मृत पेड़ के तने की।

Budha Kheda Bhomiya Ji:   मंदिरों में आपने भव्य मूर्तियां और ऊंची ऊंची मीनार देखी होंगी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो भक्त के इस छवि को चुनौती देती है। जयपुर और नागौर के बीच बसा भिंडा गांव इसका जीता जागता उदाहरण है। यहां पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती बल्कि एक मृत पेड़ के तने को पूजा जाता है। 

बिना किसी इमारत या मूर्ति वाला मंदिर 

इस जगह को बुढा खेड़ा भोमिया जी महाराज मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर कोई भी गर्भ ग्रह या स्थाई संरचना नहीं है। ना ही यहां पर कोई भी मूर्ति है। बल्कि यहां पर राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी के एक मृत पेड़ का तना पूजा जाता है। सिर्फ आसपास के गांव ही नहीं बल्कि दिल्ली और हरियाणा से भी दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं। यह जगह 400 साल से भी ज्यादा पुरानी है। 

एक योद्धा से बने लोक देवता 

दरअसल ऐसा कहा जाता है कि बुढा खेड़ा भोमिया जी महाराज एक नागौर के योद्धा थे। ऐसा कहा जाता है कि वह अपने जन्म स्थान के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए थे ‌। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि वे सर कटने के बाद भी तलवार लेकर लड़ते रहे और जब तक खेजड़ी के पेड़ के नीचे नहीं गिर गए तब तक उन्होंने लड़ना जारी रखा। एक स्थानीय चरवाहे ने इस घटना को देखा और लोगों को बताया । इसके बाद इस स्थान को पवित्र स्थान के रूप में देखा जाने लगा। 

सादगी से होती है पूजा 

यहां ना कोई मूर्ति है ना ही कोई भव्य प्रसाद। यहां पर पूजा के बाद केवल नारियल, लड्डू और दही चढ़ाया जाता है। रविवार को यहां पर काफी ज्यादा भीड़ होती है।

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