Modern Lab In Bassi: राजस्थान डेयरी विकास में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। दरअसल बस्सी में राज्य के पहले लिंग सॉर्टेड वीर्य बैंक की शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य मादा बछड़ों की जन्म दर को लगभग 90% तक बढ़ाना है। आपको बता दें कि यह पहल न केवल मवेशियों की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार लाएगी बल्कि दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी करेगी।
कैसे हुई यह परियोजना शुरू
इस परियोजना को राजस्थान सहकारी डेयरी संघ और राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के एक प्रयास के तहत शुरू किया गया है। आपको बता दें कि यह संयंत्र राज्य बजट में इसकी घोषणा के 6 महीने के बाद ही शुरू किया जा रहा है।
आवारा मवेशियों पर नियंत्रण
इस तकनीक का लाभ नर मवेशियों की आबादी को नियंत्रित करना है। इसके बाद सड़कों पर आवारा पशुओं की संख्या में काफी गिरावट आएगी। फिलहाल नंदीघरों की अनुपस्थिति की वजह से आवारा सांडों की संख्या में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है। आपको बता दें कि नई तकनीकी मदद से उच्च गुणवत्ता वाली गायों की नस्लें पैदा की जा सकेंगी। इसके बाद दूध उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
बस्सी में अत्याधुनिक सुविधा
बस्सी में फ्रोजन सीमेन बैंक में अब एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला को स्थापित किया गया है। अब तक बैंक 123 सांडों से पारंपरिक वीर्य खुराक का उत्पादन करता था। अब इस बैंक में एनडीडीबी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका से आयातित दो उन्नत मशीन लगाई गई है। यह मशीनों की मदद से अब लिंग विभेदित वीर्य खुराक का उत्पादन किया जाएगा।
दुग्ध उत्पादन और डेयरी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
आपको बता दें कि आरसीडीएफ सह प्रबंध निदेशक का कहना है कि इतने कम समय में संयंत्र स्थापित करना चुनौती भरा था लेकिन इसका प्रभाव परिवर्तनकारी होगा। मादा बछड़ों के जन्म में वृद्धि से सीधे तौर पर अधिक दुधारू पशु मिलेंगे, जिससे डेयरी सहकारी समितियों और किसानों के लिए दूध की आपूर्ति में काफी ज्यादा सुधार होगा।
यह भी पढ़ें... Bissau Village: स्वतंत्रता के संग्राम में इन गांवों ने दिया था अहम योगदान, राजस्थान के बिसाऊ ने भी निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका