rajasthanone Logo
Kota Student Suicide Case Decrease: कोटा के कोचिंग संस्थानों में छात्रों की घटती संख्या अब बढ़ने लगी है। पिछले साल के आंकड़ों पर गौर करें तो कोटा में आत्महत्या के मामलों में कमी आई है। जो एक बार फिर शैक्षणिक नगरी को छात्रों से गुलजार करने के लिए उपयुक्त है।

Kota Student Suicide Case Decrease

राजस्थान की शिक्षा नगरी के नाम से मशहूर कोटा देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। यह शहर इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए जाना जाता है। हर साल कई राज्यों से छात्र अपने सपने पूरे करने के लिए यहां आते हैं। शहर में कई नामी कोचिंग संस्थान हैं जो इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं। यहां लाखों की संख्या में छात्र पहुंचते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने के लिए आने वाले छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। जिसका असर अब यहां की अर्थव्यवस्था पर सीधा दिखाई देने लगा है। 

जानकारी हो कि साल 2022 में कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों से यहां की अर्थव्यवस्था करीब 6500 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। जो इन दिनों नीचे की ओर खिसक गई है। अब इन सबके बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। जिसे जानकर कोटा शहर के चाहने वालों और यहां के कारोबारियों के चेहरे खिल उठेंगे। आज हम इस लेख के जरिए इन्हीं सभी पहलुओं को जानने की कोशिश करेंगे।

छात्रों की संख्या में आई कमी 

इंजीनियरिंग हो या मेडिकल, इनकी प्रवेश परीक्षाएं कठिन मानी जाती रही हैं। इस प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों को दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि, मौजूदा समय में कोचिंग संस्थानों ने कुछ मामलों में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी को आसान बना दिया है। छात्र अपनी तैयारी को बेहतर बनाने के लिए कोटा शहर आते हैं।

यहां कई मशहूर कोचिंग संस्थान हैं जो इस शहर में काफी प्रसिद्ध हैं। इन संस्थानों के नतीजे भी अच्छे रहे हैं। इसलिए कोटा छात्रों के दिमाग पर रहा है। हालांकि, इस शहर के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है। इसके पीछे की सच्चाई जानकर आप चौंक जाएंगे। 

दरअसल, बीते सालों में यहां के कोचिंग संस्थानों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों के कारण इस शहर को काफी नुकसान हुआ है। साल 2023 में आत्महत्या के 26 मामले दर्ज किए गए थे। इसके चलते बच्चों का शहर से मोहभंग भी होने लगा था। लेकिन, सरकार और प्रशासन के सहयोग से अब यह तस्वीर बदल रही है। इसका नतीजा अब दिखने लगा है।

मालूम हो कि 2023 के मुकाबले 2024 में इन मामलों में भारी कमी आई है। आंकड़ों की बात करें तो कोटा में आत्महत्या के मामलों में 38 फीसदी की गिरावट आई है। जो एक अच्छी खबर है। वहीं, इस सकारात्मक खबर के बाद उम्मीद है कि वर्ष 2025 में छात्र बड़ी संख्या में यहां के कोचिंग संस्थानों में दाखिला लेंगे।

ऐसे मामलों में आई कमी 

बीते सालों में कोटा में आत्महत्या के मामले स्थानीय कोचिंग और हॉस्टल संचालकों, प्रशासन और राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने योजनाबद्ध तैयारियों से इन मामलों को कम करने में बड़ी सफलता हासिल की है। इसका श्रेय स्थानीय प्रशासन, कोचिंग और हॉस्टल संचालकों को जाता है।

बता दें कि इन सभी ने सरकारी नियमों का कदम से कदम मिलाकर पालन करते हुए जीत हासिल की है। हालांकि, अभी भी व्यापक स्तर पर काम करने की जरूरत है। ताकि बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत किया जा सके। शहर के हॉस्टलों के वार्डन के लिए विशेष प्रोटोकॉल तैयार किए गए। जिसे डब्ल्यूएचओ-प्रोटोकॉल के नाम से भी जाना जाता है।

वहीं, इसके अलावा गार्ड्स के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र लागू किए गए। छात्राओं के लिए एसओएस सहायता केंद्र स्थापित किए गए। प्रशासन के 'डिनर विद कलेक्टर' और 'संवाद' जैसे सबसे कारगर कार्यक्रमों ने इन मामलों के खिलाफ जंग जीतने में बड़ी भूमिका निभाई है। कोटा की छात्राओं को हरसंभव मदद उपलब्ध कराने में 'कालिका दस्ता' कार्यरत है। हाल ही में प्रशासन ने विद्यार्थियों को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए 'कोटा केयर्स' की भी शुरुआत की है।
 

5379487