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Black Turmeric Farming In Jaipur : विशेषज्ञों की मानें तो काली हल्दी का प्रयोग घरेलू नुस्खे से ज्यादा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की दवा बनाने के लिए किया जाता है।

Black Turmeric Farming In Jaipur : इस समय राजस्थान के किसान कई कृषि संस्थानों से जैविक खेती का प्रशिक्षण लेकर हर वर्ष लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। इसी क्रम में जयपुर की पिंजरापोल गौशाला अब विशेष प्रकार की काली हल्दी की खेती और प्रशिक्षण का मुख्य केन्द्र बन गई है। बहुत शोध के बाद असम में पैदा होने वाली काली हल्दी को जयपुर की धरती पर उगाकर किसानों के लिए एक नया रास्ता तैयार किया है। विशेषज्ञों की मानें तो काली हल्दी किसानों के लिए जबरदस्त मुनाफे वाली खेती है। गौशाला में 5 एकड़ जमीन पर काली हल्दी की खेती की जा रही है जिससे हर वर्ष लाखों रुपए की कमाई हो जाती है। 

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए प्रयोग

विशेषज्ञों की मानें तो काली हल्दी का प्रयोग घरेलू नुस्खे से ज्यादा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की दवा बनाने के लिए किया जाता है। पूरी तरह से जैविक विधि से उगाई जाने वाली जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल गौशाला क्षेत्र में सीमित एकड़ भूमि पर की जा रही खेती से ही लाखों रुपये मूल्य की काली हल्दी का उत्पादन हो रहा है। काली हल्दी की फसल 9 महीने में पूरी तरह तैयार होती है।

खेती के लिए उपयुक्त जलवायु 

काली हल्दी की खेती के लिए उष्ण जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है। इसके लिए किसान जनवरी फरवरी में मल्टी लेयर फार्मिंग के द्वारा खेती करते हैं। इसकी खेती के लिए एक एकड़ में ढाई लाख रुपए का खर्च आता है। इसमें सबसे अधिक इसके बीज का मूल्य होता है। पूरी लागत के अंतर्गत सिंचाई, निदाई-गुड़ाई, कीटनाशक और मजदूरी की सम्मिलित है।

काली हल्दी से होने वाली कमाई 

विशेषज्ञ बताते हैं कि ढाई लाख रुपए की लागत पर 10 लाख रुपए की कमाई होती है। इस समय बाजार में गीली काली हल्दी 1000 रुपए बिक रही है। इसके पत्तों को सुखाकर तकिया बनाया जाता है। इसकी कीमत बाजार में 500 रुपए किलो है।

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