Kota City Tiger Reserve: राजस्थान का शहर कोटा के लोगों ने वन्यजीवों के लिए अपना समर्पण दिखाया है। एक ओर जहां लोग अपनी जमीन के दो गज भी किसी को नहीं देना चाहते हैं, दूसरी ओर कोटा के 327 परिवारों ने वन्य जीवों के लिए अपनी जमीन दान में दे दिए, ताकि उस पर ग्रेसलैंड विकसित किया जा सके और जानवर वहां रह सके। सोचने वाली बात है कि इन परिवारों के पूर्वज वर्षों से यही रहते थे, बावजूद इसके वहां रहने वाले लोगों ने अपना घर-मकान खेत-खलिहान छोड़कर वहां से जाने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा टाइगर रिजर्व को लेकर हैं सजग
इन परिवारों द्वारा छोड़े गए खेतों और मकानों में अब लंबे-चौड़े ग्रासलैंड बन गया है। पूरा का पूरा इलाका घने पेड़ के कारण जंगल में तब्दील हो गया है। इससे बाघों का कुनबा बढ़ाने के प्रयासों को मदद मिलेगी। बताते चलें कि न सिर्फ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बल्कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी टाइगर रिजर्व को लेकर काफी सजग हैं। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए इस इलाके को ग्रासलैंड में बदलने का फैसला किया गया।
327 परिवार के लोगों ने छोड़ा मकान
बताते चलें कि यहां टाइगर रिजर्व बनने का नोटिफिकेशन साल 2013 में ही जारी हो गया था, इसके बाद 3 अप्रैल 2018 को यहां बाघ भी रिलीज कर दिए गए थे। दूसरी ओर जंगल की जमीन छोड़ने और दूसरे जगह शिफ्ट होने के लिए सरकार ने इन लोगों को बुनियादी सुविधाएं दी हैं। इस क्षेत्र में कुल 54 गांव के 1955 परिवार रहते थे, इनमें से 327 परिवार के लोगों ने तो अपनी स्वेक्षा से मकान छोड़कर कहीं और बसने का फैसला किया। वहीं बचे हुए बाकी परिवारों को भी इन इलाकों से हटाकर पूर्ण स्थापना की कोशिश जारी है।
जो भी परिवार यहां से छोड़कर नई जगह पर जा रहे हैं, उनके परिवार को सरकार की ओर से 15 लख रुपए का पैकेज दिया जा रहा है। हालांकि अभी भी करीब 1500 परिवार उसी स्थान पर हैं। अधिकारियों ने उन लोगों को समझाया कि टाइगर रिजर्व में आए गांव में ना ही तो कभी बिजली पहुंच सकेगी, ना सड़क बना संभव है, ना ही आधारभूत जरूरत जैसे स्कूल और अस्पताल बनना संभव है।
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वर्तमान की बात करें तो लक्ष्मीपुर गांव पूरी तरह से विस्थापित हो चुका है, इसके अलावा खाली बावड़ी और घाटी जागीर से भी लोग दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे हैं। मासलपुर के भी 90 फ़ीसदी परिवार दूसरे जगह पर शिफ्ट कर चुके हैं। वहीं दामोदरपुर में विस्थापन की प्रक्रिया जारी है। इन परिवार वालों की पहल सराहनीय है, क्योंकि इनके प्रयास से जंगल और वन्य जीवों को बचाया जा सकेगा। बताया जा रहा है कि उस इलाके में ग्रासलैंड विकसित करने से वन्य जीवों की तादाद काफी बड़ी है और यह सिलसिला अभी चलता ही रहेगा।