Jaipur Famous Perfume: राजधानी जयपुर में दिवाली का त्यौहार अपने पूरे शबाब पर है। लोग बाज़ारों में कपड़े, गहने, बर्तन, सजावटी सामान और घरेलू सामान की खरीदारी में व्यस्त हैं। इस त्यौहारी माहौल में जयपुर के मशहूर इत्र और परफ्यूम की माँग आसमान छू रही है।
शहर के त्रिपोलिया बाज़ार में स्थित, डी आर अरोमा इत्र और परफ्यूम शॉप अपनी महंगी और अनोखी खुशबू के लिए मशहूर है। यहाँ चौथी पीढ़ी के कारीगर अपने पूर्वजों के हुनर को ज़िंदा रखते हुए इत्र कला को नई ऊँचाइयों पर ले जा रहे हैं।
दुकान के मालिक ने बताया कि इस दिवाली उन्होंने "रूह गुलाब" नाम का परफ्यूम बनाया है, जिसकी कीमत ₹25 लाख प्रति लीटर है। इसके अलावा भी कई किस्में हैं, जिनकी माँग त्यौहारी सीज़न में सबसे ज़्यादा होती है। डी आर अरोमा जयपुर की इकलौती दुकान है जो सबसे महंगे परफ्यूम बनाती है, जिनकी माँग दुबई से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक है।
परफ्यूम की कीमत लाखों में है।
दुकान के मालिक ने कहते हैं कि वह चौथी पीढ़ी के कारीगर हैं और उन्होंने अपने दादाओं की इत्र और सुगंध बनाने की कला को कड़ी मेहनत और लगन से आगे बढ़ाया है। आज, वह ₹2 लाख प्रति लीटर से लेकर ₹25 लाख प्रति लीटर तक के इत्र बनाते हैं। दुबई, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में इनकी माँग है।
उन्होंने बताया कि ज़्यादातर लोग इत्र लीटर में नहीं, बल्कि 10-20 ग्राम की छोटी मात्रा में खरीदते हैं, जिसकी कीमत लाखों में भी हो सकती है। दिवाली के दौरान, स्थानीय और विदेशी पर्यटक, दोनों ही विशेष रूप से इन इत्रों को खरीदने के लिए दुकान पर आते हैं। त्योहारों के मौसम में माँग इतनी बढ़ जाती है कि अक्सर स्टॉक खत्म हो जाता है।
सैकड़ों प्रकार के इत्र उपलब्ध हैं
दुकानदार ने बताया कि वह गुलाब, चंदन, मोगरा, लिली, केवड़ा, खस, मेंहदी, कस्तूरी, शमा, केसर और कस्तूरी जैसे इत्र बनाते हैं। इनमें से सबसे महंगा "ऊद" इत्र है, जिसमें सफेद ऊद, काला ऊद, डैनियल ऊद, कंबोडियन ऊद और अफ़्रीकी ऊद जैसी किस्में सबसे लोकप्रिय और महंगी हैं।
इनकी कीमत लाखों में होती है और ज़्यादातर वीआईपी ग्राहक इन्हें खरीदते हैं। इसके अलावा, बजट के अनुकूल ग्राहकों के लिए प्राकृतिक और सिंथेटिक इत्र भी तैयार किए जाते हैं। दुकान पर हर समय 100 से ज़्यादा किस्में उपलब्ध रहती हैं। दिवाली और शादियों के मौसम में इनकी माँग कई गुना बढ़ जाती है।
कन्नौज के गुप्त फॉर्मूले से बनता है इत्र
डीआर अरोमा के मालिक ने बताया कि जयपुर में इत्र बनाने की कला कन्नौज में ही शुरू हुई थी। उनके पूर्वजों ने यह कला सीखी और जयपुर में अपने प्रयोगों के ज़रिए कुछ अनोखी किस्में विकसित कीं जो आज भी प्रसिद्ध हैं। इत्र बनाने की प्रक्रिया में लाखों रुपये के फूल, लकड़ी और अन्य प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल होता है।
प्रत्येक इत्र प्राकृतिक या सिंथेटिक तरीकों से तैयार किया जाता है, जिसमें गुणवत्ता और मात्रा का ध्यान रखा जाता है। इत्र मुख्य रूप से सुगंधित पौधों की लकड़ियों, फूलों और जड़ी-बूटियों से बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में समय, मेहनत और सटीकता की आवश्यकता होती है।
जयपुर का यह इत्र न केवल दिवाली की रौनक बढ़ाता है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक विरासत को भी विश्व पटल पर उभारता है। डी आर अरोमा की खुशबू विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है, जो इसे उपहार के रूप में ले जाना पसंद करते हैं। यह दुकान जयपुर के बाजारों का एक अनमोल रत्न है, जो परंपरा और आधुनिकता का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करती है। इस दिवाली त्रिपोलिया बाज़ार की खुशबू हर घर को महकाने के लिए तैयार है।