Bharatpur Heritage: कभी अपने स्थापत्य कला के अद्भुत नमूनों के लिए मशहूर भरतपुर की विरासत समय के साथ-साथ ढलती जा रही है। इसका एक मुख्य कारण अनियंत्रित अतिक्रमण और प्रशासनिक उदासीनता भी है। वीरता का प्रतीक लोहागढ़ किले और ऐतिहासिक सुजान गंगा नहर की हालत निजी स्वार्थ और सरकारी लापरवाही की वजह से बद्तर होती जा रही है।
विरासत की दीवारों पर अतिक्रमण
लोहागढ़ किले की प्राचीन दीवारें अब व्यावसायिक शोरूमों के पीछे छुप गई हैं। स्थानीय लोगों को कहना है कि सरकारी जमीन पर व्यवस्थित रूप से अतिक्रमण किया गया है। इसी के साथ दुकान और शोरूम विरासत संरचनाओं के ठीक ऊपर बनाए गए हैं। पुरातत्व विभाग ने बार-बार नोटिस दिए हैं उसके बावजूद भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।
सुजान गंगा नहर
इस नहर को कभी शहर की जीवन रेखा माना जाता था। इतना ही नहीं बल्कि इसका इस्तेमाल नौकायन कार्यक्रमों के लिए भी किया जाता था। लेकिन आज यह जगह कूड़ेदान में तब्दील हो गई है। प्लास्टिक कचरा, शराब की बोतल, डिटर्जेंट जैसा कूड़ा इसके पानी में तैरता रहता है। यहां प्रदूषण इतना गंभीर है कि हाल के वर्षों में इसमें मछलियां तक मर गई।
हालांकि नहर की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए मंजूर हो चुके थे। लेकिन जमीनी हकीकत धन की लूट और असफल परियोजनाओं की कहानी से भरी पड़ी है। आसपास के शोरूमों और कॉलोनियों से कचरा जल मार्ग को चोक कर रहा है।
तत्काल कार्रवाई की जरूरत
विरासत प्रेमियों और कार्यकर्ताओं की मांग है कि लोहागढ़ किले की दीवारों पर और सुजान गंगा नहर पर अतिक्रमण का एक नए सर्वेक्षण किया जाए। इसी के साथ उनका यह सवाल है कि अतिक्रमणकारियों को नोटिस के बाद राहत क्यों दी गई इसका सार्वजनिक खुलासा किया जाए। साथ ही नहर में कचरा डालने वालों पर भी भारी जुर्माना लगाया जाए।
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