Driving License: सड़क सुरक्षा पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाए जा रहा है। दरअसल ड्राइविंग लाइसेंस आवेदकों को अब आरटीओ कार्यालय में स्वचालित ड्राइविंग ट्रैक पर परीक्षण से गुजरना होगा। इस प्रणाली के अंतर्गत सिर्फ उचित ड्राइविंग कौशल प्रदर्शित करने वाले ही परीक्षा उत्तीर्ण कर पाएंगे जबकि कंप्यूटर आधारित मूल्यांकन पास या फेल का निर्धारण करेगा। इस कदम के बाद मानवीय हस्तक्षेप समाप्त हो जाएगा।
मारुति सुजुकी के साथ समझौता ज्ञापन
इस पहल के लिए परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग ने मारुति सुजुकी के साथ 3 साल का समझौता ज्ञापन साइन किया है। इस ज्ञापन पर विभाग की सचिव शुची त्यागी और मारुति सुजुकी के सीएसआर वरिष्ठ उपाध्यक्ष तरुण अग्रवाल के हस्ताक्षर है।
इस समझौते के अंतर्गत मारुति सुजुकी राज्य भर के 20 आरटीओ और डीटीओ में परीक्षणों को चलाने के लिए सॉफ्टवेयर, कैमरे, सेंसर और तकनीकी सहायता देगी। आपको बता दें कि इन ट्रैकों का संचालन आरटीओ के पास रहेगा लेकिन मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरी तरह से कंप्यूटराइज किया जाएगा।
मैन्युअल परीक्षण का अंत
सबसे पहले स्वचलित ट्रैकों का प्रबंधन स्मार्ट चिप द्वारा किया जाता था। उसके पास 11 आरटीओ और दो डीटीओ में ट्रैक संचालित करने के टेंडर थे। डेढ़ साल पहले कंपनी का अनुबंध समाप्त हो चुका है। इसके बाद से विभाग के पास अपना खुद का कोई सॉफ्टवेयर नहीं था। इस वजह से ही मैन्युअल परीक्षण की तरफ वापसी हुई थी। ऑफिस नहीं ज्ञापन समझौते की मदद से पूरी तरह से स्वचालित परीक्षण की बहाली वापस से सुनिश्चित होगी।
क्या है प्रकिया
सबसे पहले तो आवेदकों को एक लर्निंग लाइसेंस प्राप्त करना होगा। इसके बाद परीक्षण की तारीख ऑनलाइन बुक करनी होगी। उसके बाद परीक्षण से 45 मिनट पहले जगतपुरा आरटीओ जाना होगा। उसके बाद 20 मिनट की प्री टेस्ट कक्षा में भाग लेना होगा उसके बाद कैमरे की निगरानी में चार प्रकार के ड्राइविंग टेस्ट को सफलतापूर्वक पूरा करना होगा।
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