Success Story: राजस्थान के एक छोटे से गांव से आने वाले आनंद प्रकाश ने अपना नाम दुनिया के सबसे प्रसिद्ध एथिकल हैकर्स में दर्ज कर लिया है। शुरुआती वर्षों में साइबर सुरक्षा में कोई औपचारिक पृष्ठभूमि ना होने की वजह से उन्होंने एथिकल हैकिंग की मूल बातें सीखने के लिए गूगल और यूट्यूब का सहारा लिया। कॉलेज के दोनों में रुचि के रूप में शुरू हुआ यह सफर जल्द ही एक प्रभावशाली वैश्विक करियर के रूप में बदल गया।
साइबर सिक्योरिटी में शुरुआती दिन और प्रवेश
आनंद ने चेन्नई के वीआईटी विश्वविद्यालय से बीटेक की। इसके बाद 2014 में उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन भी पूरी कर ली। अपने कॉलेज के दिनों के दौरान ही उन्होंने बग बाउंटी जैसे कार्यक्रमों की दुनिया की खोज करनी शुरू की। दरअसल यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां पर साइबर सुरक्षा शोधकर्ता सॉफ्टवेयर सिस्टम में कमजोरी को ढूंढते हैं और इन कमजोरी को ढूंढने की वजह से उन्हें पुरस्कार भी मिलता है। उनकी यह जिज्ञासा जल्द ही एक खूबसूरत परिणाम में बदल गई। उन्होंने काफी जल्द सबसे बड़ी टैक फर्म को बग की रिपोर्ट करना शुरू कर दिया।
500 से अधिक कंपनियों को किया सिक्योर
इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद वे एक सिक्योरिटी इंजीनियर के रूप में फ्लिपकार्ट में शामिल हो गए। लेकिन इस नौकरी के साथ-साथ उन्होंने फेसबुक, उबर, ट्विटर, लिंक्डइन और सेलस्फोर्स जैसे प्रमुख प्लेटफार्म में काफी जरूरी सिक्योरिटी कमियों को पाया और उनका खुलासा किया। धीरे-धीरे करके उन्होंने 500 से अधिक कंपनियों को डिजिटल सुरक्षित किया।
2016 उनके लिए काफी अच्छा साल रहा। इस वर्ष में उन्होंने फेसबुक के पासवर्ड रिसेट सिस्टम में एक बड़ी खामी का पता लगाया। दरअसल उन्होंने फेसबुक के पासवर्ड रिसेट करने के सिस्टम में रेट लिमिटिंग की कमी को पाया। इस कमी को पकड़ने के लिए फेसबुक ने आनंद को $15000 यानी कि लगभग 12.8 लाख रुपए का पुरस्कार दिया।
फोर्ब्स से मिली मान्यता
23 साल की उम्र में ही आनंद को फोर्स द्वारा प्रतिष्ठित 30 अंडर 30 एशिया सूची में स्थान मिल चुका था। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि 2021 में उन्होंने पिंगसेफ नाम की अपनी खुद की साइबर सिक्योरिटी स्टार्टअप कंपनी को लांच किया। इस कंपनी का उद्देश्य अगली पीढ़ी का क्लाउड सिक्योरिटी प्लेटफार्म, जिसने बग बंटी और भेद्दता प्रबंधन के साथ अपने वर्षों के अनुभव का लाभ उठाया, बनना था। यह स्टार्टअप तेजी से कामयाब हुआ और 2023 में वैश्विक साइबर सिक्योरिटी फॉर्म सेंटिनलवन द्वारा 850 करोड रुपए से अधिक की कथित राशि में अधिग्रहित कर लिया गया।
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