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Ajmer Seven Wonders: जिले की सेवन वंडर्स परियोजना को ध्वस्त किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला।

Ajmer Seven Wonders: अजमेर स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत लगभग 11 करोड़ रुपए की लागत से अजमेर में बनाई जा रही सात अजूबे परियोजना को एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में ध्वस्त किया जा रहा है। जांच में इस परियोजना की योजना और क्रियान्वयन में बड़ी खामियां और अनियमितताएं देखने को मिली हैं।

कार्य शुरू होने के बाद परियोजना को मंजूरी 

एक बोर्ड बैठक में 10.50 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली सेवेन वंडर्स परियोजना को आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी गई थी। लेकिन इसके बाद कुछ परेशान करने वाले तथ्य सामने आए हैं। आपको बता दें कि निर्माण कार्य आधिकारिक मंजूरी से लगभग 5 महीने पहले शुरू हुआ था। इसी के साथ निविदा 18 दिसंबर 2020 को जारी की गई थी और तकनीकी बोली 25 जनवरी 2021 को खोली गई। इस ठेके को निरानिया कंस्ट्रक्शन कंपनी जयपुर को लगभग 9 करोड़ रुपए में दिया गया था। लेकिन बाद में अतिरिक्त कार्य का दावा करके इसे बढ़ाकर 11 करोड़ से ज्यादा कर दिया गया। 

प्रमुख वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं

आपको बता दें कि प्रारंभिक स्वीकृतियों और निविदाओं की राशि 9 करोड़ रुपए से कम होने के बावजूद भी कथित तौर पर अतिरिक्त कार्य की वजह से परियोजना की अंतिम स्वीकृत लागत ढाई करोड़ रुपए से अधिक बढ़ गई। ध्यान देने योग्य बात यह है की मूल परियोजना फाइल 26 जुलाई 2022 से खो चुकी है और अभी भी अदालत में उपलब्ध नहीं है। इसके बाद जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। 

उचित अनुमति के बिना निर्माण 

एक और चौंकाने वाला खुलासा यह है कि परियोजना का निर्माण अजमेर विकास प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना ही किया गया था। यह अनापत्ति प्रमाण पत्र 14 फरवरी 2022 को जारी किया गया था जबकि निर्माण 21 फरवरी 2021 से ही शुरू हो चुका था। इसी के साथ यह निर्माण कार्य क्षेत्रीय महाविद्यालय के सामने खसरा संख्या अजमेर थोक तेलियान में एक आर्द्रभूमि क्षेत्र में हुआ। यहां पर निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी।

सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई और तोड़फोड़ 

आपको बता दें कि इस मामले को अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में पहुंचा दिया गया है। इस मामले की सुनवाई 4 अगस्त को हुई थी, लेकिन मामला सूचीबद्ध ना होने की वजह से अगली तारीख अनिश्चित बनी हुई है। इसी के साथ फूड कोर्ट को गिराने की आदेश पहले चाहिए पारित हो चुके हैं और अब सात अजूबों को भी ध्वस्त किया जा रहा है। 

याचिकाकर्ताओं ने जवाबदेही की मांग की 

इस मामले में याचिका करता अशोक मलिक ने पारदर्शिता की कमी की खुलकर निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ शक्ति कार्रवाई करनी चाहिए वरना मैं इस मामले को अदालत में और आगे तक लेकर जाऊंगा।

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