Sikar Kisan Andolan: राजस्थान का सीकर शहर ने कई किसान आंदोलनों का गवाह रह चुका हैं। विभिन्न मुद्दों जैसे फसलों के दाम, सरकारी खरीद और कर्ज माफी को लेकर किसान सरकार के खिलाफ विरोध कर चुके हैं। इन्हीं किसान आंदोलनों में से एक मात्र ऐसा किसान आंदोलन था जिसकी गवाह ब्रिटिश संसद भी बनी थी। यह विरोध साल 1922 से लेकर 1935 तक चला था।
दरअसल, रावाराजा कल्याण सिंह के राज में किसानों के कर में लगातार बढ़ोतरी की जा रही थी, जिसके विरोध में किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। उस दौरान किसानों ने सरकार के सामने झुकने की बजाय विभिन्न तरीकों से आंदोलन को आगे बढ़ाया। किसानों के बढ़ते विरोध को देखकर साल 1925 में यह मामला ब्रिटिश संसद में ले जाया गया।
राज्य का एकलौता ऐसा किसान आंदोलन जिसकी गवाह बनी थी ब्रिटिश संसद
इतिहासकार व राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रसीदपुरा के प्रधानाचार्य अरविन्द भास्कर ने जानकारी दी कि वर्ष 1922 में सीकर के राजा कल्याण सिंह की ओर से किसानों के कर में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी, जिसके खिलाफ हजारों किसानों ने सड़क पर उतरकर आंदोलन किया था।
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साल 1925 से लगभग 10 साल तक इस आंदोलन को ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कामंस ले जाया गया। इस दौरान लगभग सात बार इस विरोध के संबंध में 14 प्रश्न पूछे गए थे। यह प्रदेश के इकलौता ऐसा किसान आंदोलन जिसकी गवाह ब्रिटिश संसद बनी थी। इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों में इसके बारे में बताया गया है।
तब सीकर की थी कितनी वार्षिक आय?
संसद में मि. पैथिक लारेंस ने देश के अंडर सेक्रेटरी से सवाल किया था कि सीकर राज्य की वार्षिक आय कितनी है? इसके जवाब में अंडर सेक्रेटरी अर्ल विंटर्टन ने बताया था कि राज्य की वार्षिक आय 5.50 लाख रुपए है। साथ ही सार्वजनिक शिक्षा व स्वास्थ्य पर खर्च के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया था कि राज्य में सार्वजनिक शिक्षा पर 15,000 तथा स्वास्थ्य पर 20,000 खर्च किया जाता है।