Chambal Dacoit: 15 साल से राजस्थान के करौली जिले में चम्बल के डकैतों का खौफ था। पूरा जिला उनके आतंक के डर से कांपता था, जिस कारण वहां के लोगों और उनके परिवारों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कभी कभी ऐसी स्थिति होती थी कि परिवार की महिलाओं को इस बात का डर सताता था कि उनके पति घर लूटेंगे भी या नहीं। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन को लेकर भी चिंताएं थीं। बारिश कम मात्रा में होने से लगातार सूखा पड़ने से जमीनें बंजर हो रहीं थीं। जल स्त्रोत के सूख जाने से पशुपालन और खेती पर गहरा प्रभाव पड़ा। पेट की भूख अब तकलीफ का एहसास देने लगी थी।
पत्नी के प्रयास ने बदली परिवार की दिशा
ऐसी मुसीबत का सामना करने और अपने परिवार का पेट पालने के लिए बहुत से पुरुष डकैत बनने के लिए मजबूर हुए। हर दिन पुलिस से पकड़े जाने के डर से जंगलों में छिप जाते थे और अपने परिवार वालों को भी जोखिम में डालते थे। लेकिन साल 2010, जब महिलाओं ने उनके जीवन को नई दिशा देने और अपनी स्थिति को बदलने का निर्णय लिया।उन्होंने अपने पतियों को समझाने और हथियारों को छुड़ाने के लिए मना लिया। जिसको लेकर सम्पत्ति देवी के पति जगदीश (58) का कहना है कि, 'अगर सम्पत्ति ने मुझे वापस आकर खेती के लिए प्रेरित ना किया होता तो, अब तक शायद मैं मर चुका होता।'
TBS ने तालाबों का किया पुनर्जन्म
अलवर में स्थित तरुण भारत संघ (TBS) ने इस जिले को अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, वहां के लोगों की जिंदगी को वापस पटरी पर लाने के लिए उन्होंने लोगों की मदद की। वह पुराने सूख चुके तालाबों को वापस से सही दशा में लेकर आए और जलाशय बनाने शुरू किए। 2015- 2016 में सम्पत्ति और उस के पति ने आलमपुर के एक पहाड़ी के नीचे तालाब बनाया। अब जब भी बारिश होती है तो, यह तालाब भर जाता है, जिससे पानी की समस्या दूर हो गई। संपत्ति ने कहा कि, 'अब वहां हम पानी की मदद से सब्जियां, सरसों, गेहूं, बाजरा उगाते हैं' और तालाब को सिंघाड़े की खेती के लिए किराए पर देते हैं, जिससे हर सीजन में उन्हें करीब एक लाख रुपए की कमाई होती है।
TBS और स्थानीय समुदाय ने बदली गांव की सूरत
TBS और स्थानीय समुदाय के लोगों ने गांव के आसपास के जंगलों की सूरत बदल दी कर रख दी। जंगलों में करीब 16 और जिले में करीब 500 ऐसे तालाब बनवाए गए, जो ढलान से बहने वाले जल को रोकते हैं। जिसके चलते चम्बल का एक हिस्सा करौली और राजस्थान, मध्यप्रदेश, और उत्तरप्रदेश में फैला हुआ है। जो कभी डकैतों के लिए प्रमुख राज्यों में से एक था। यह क्षेत्र ऊबड़- खाबड़, घने जंगलों और गहरी घाटियों वाला था, जो डकैतों के छिपने के लिए एक दम सही था। ऐसे में TBS और स्थानीय समुदायों ने इस इलाके को हरा भरा बनाने के लिए 500 तालाब बनवाए, जिनमें 16 आलमपुर के आसपास के जंगलों में मौजूद हैं। सूखे और बाढ़ दोनों से लोगों को राहत मिले, इसके लिए ये तालाब पहाड़ियों से बहने वाले पानी को रोकते हैं। बृजेश ज्योति उपाध्याय (करौली के एसपी) ने बताया कि भले ही स्थिरता लौट रही है, मगर इलाके में अभी भी बारिश की अनियमितता बनी हुई है।
सेरनी नदी बनी बारहमासी
करामत जिले से होकर बहने वाली सेरनी नदी सबसे बड़ी नदी है, जिसका पुनर्जीवन जेएएस संरक्षण के माध्यम से हुआ। अब इसका नाम बदलकर बारहमासी नदी कर दिया गया। एक दशक पहले यह दिवाली के बाद सूख जाती थी। TBS के रणवीर सिंह का कहना है कि, 'अगर अब गर्मी चर्म पर होती है, तब भी इस नदी में पानी रहता है। इसकी पूरी लंबाई और चौड़ाई में लगभग 150 जल संरक्षण रचनाएं बनाई गई हैं' यह नदी पूरे साल बहती थी। लेकिन इसके अत्यधिक उपयोग ने और जलवायु परिवर्तन ने इसे सुखाकर रख दिया। जिस कारण लोग काम की तलाश में या तो शहर चले गए या फिर डकैती करने लगे या खनन कार्य में लग गए।
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