Rajasthan Election: हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी गई है जिसमें पंचायत और नगर निगमों के चुनाव शीघ्र कराने और प्रशंसकों को उनके पदों से हटाने के निर्देश दिए गए थे। इस आदेश को न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संजीत पुरोहित द्वारा राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई के बाद पारित किया गया है।

अदालत के समक्ष दलीलें

महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद और अतिरिक्त महाधिवक्ता कपिल प्रकाश माथुर के तर्क के मुताबिक एकल पीठ के समक्ष दायर याचिकाओं में केवल प्रशासकों के निलंबन और बर्खास्तगी को चुनौती दी गई थी। साथ ही चुनाव शीघ्र करने के संबंध में कोई भी दलील नहीं दी गई थी। इसके बावजूद भी एकल पीठ ने जल्द चुनाव कराने के निर्देश दिए थे जो याचिकाओं के दायरे से बाहर था। 

खंडपीठ का कहना है कि इस मुद्दे और परिसीमन मामले से संबंधित एक जनहित याचिका पर फैसला अभी सुरक्षित है। ऐसे हालातों में एकल पीठ को शीघ्र चुनाव करने के आदेश देने वाले आदेश पारित नहीं करने चाहिए थे।

चुनाव आयोग और मतदाता सूची कार्यक्रम पर प्रभाव 

इस रोक के बाद चुनाव आयोग को मतदाता सूची तैयार करने के कार्यक्रम में संशोधन या फिर उसे स्थगित ही करना पड़ सकता है। पंचायत और निकायों के लिए परिसीमन प्रक्रिया को पहले ही पूरा किया जा चुका है और इसी के साथ नई प्रशासनिक इकाइयां भी अस्तित्व में आ गई हैं। 

नेतृत्व और चुनाव समय सारणी में बदलाव 

इस अनिश्चितता की ओर बढ़ते हुए चुनाव आयुक्त मधुकर गुप्ता का कार्यकाल अगले महीने खत्म होने वाला है। इसी बीच नए आयुक्त के कार्यभार संभालने की संभावना के साथ ही चुनाव कार्यक्रमों में भी बदलाव हो सकते हैं। साथ ही दिसंबर जनवरी तक एक राज्य एक चुनाव लागू होने की संभावना स्थिति को और भी ज्यादा जटिल बना देगी।

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