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Lecturer Promotion: राजस्थान में स्कूल व्याख्याता भर्ती को लेकर बवाल मचा हुआ है। जिन लोगों की पहले पोस्टिंग हुई है उन्हें वरिष्ठ माना जा रहा है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी हुई सभी बातें।

Lecturer Promotion in Rajasthan:  शिक्षा विभाग में एक बार फिर से एक बड़ा विवाद सामने आ रहा है। दरअसल राजस्थान लोक सेवा आयोग स्कूल व्याख्याता भर्ती के माध्यम से भर्ती किए गए स्कूल व्याख्याता की पदोन्नति को लेकर बवाल मचा हुआ है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला। 

देरी से पोस्टिंग से पदोन्नति में असमानता 

2015 में आरपीएससी द्वारा 19 विभिन्न विषयों में 13098 स्कूल व्याख्याता की नियुक्ति के लिए एक भर्ती अभियान चलाया गया था। हालांकि कार्यान्वयन एक समान नहीं था। आठ विषयों को 2016 में पोस्टिंग दे दी गई। इसके बाद 2017 में बाकी 9 विषयों को पोस्ट किया। अब विभाग द्वारा पोस्टिंग की तारीख को वरिष्ठता का आधार माना जा रहा है। अब इसमें उन लोगों को अनुचित लाभ मिलेगा जो पहले पोस्ट किए गए हैं। इस असमानता की वजह से हिंदी, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, संस्कृत, जीव विज्ञान और वाणिज्य जैसे 9 विषयों के व्याख्याता को नुकसान पहुंचा है। 

नई भर्ती पर प्रभाव 

इस पदोन्नति में देरी होने की वजह से नई भर्ती पर भी रोक लग रही है। पदोन्नति होने की वजह से नई रिक्तियां पैदा होती है‌ंं। अब जब पदोन्नतियां रुक जाती हैं तो नए पद उपलब्ध होते हैं। यह बात काफी चिंताजनक है क्योंकि नई भर्ती में केवल 2202 पदों की घोषणा की गई है। यह एक दशक में सबसे कम भर्ती है। 

शिक्षक संघ की मांग 

अध्यापक स्कूल शिक्षा सम्मान वरिष्ठता संघर्ष समिति के संयोजक मुकेश कुमार द्वारा सरकार से सभी विषयों में समान वरिष्ठता सूची बनाने का आग्रह किया गया है। वह कहते हैं इससे यह सुनिश्चित होगा कि व्याख्याता को योग्यता के आधार पर ही पदोन्नत किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यदि समान वरिष्ठता सूची संभव नहीं है तो विभाग को कम से कम हर विषय से समान संख्या में व्याख्याता को पदोन्नत करना चाहिए। 

कैसे हुई पदोन्नति असमानता उत्पन्न 

दरअसल यह जड़ 2015 की भर्ती में चयनित उम्मीदवारों की चरणबद्ध पोस्टिंग से जुड़ी हुई है। 13098 पदों में से गणित, चित्रकला, रसायन विज्ञान और दर्शनशास्त्र सहित आठ विषयों में लगभग 1247 उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया था। इसके बाद अगले साल राजनीति विज्ञान और अंग्रेजी में लगभग 3000 उम्मीदवारों के लिए पोस्टिंग शुरू हुई थी। 
अब क्योंकि पदोन्नति आमतौर पर वरिष्ठता के आधार पर होती है और अब फिलहाल वरिष्ठता की गणना चयन तिथि के बजाय पोस्टिंग तिथि के आधार पर की जा रही है। यही कारण है कि बाद के बैच की व्याख्याता को स्वचालित रूप से पदोन्नति सूची में सबसे नीचे धकेल दिया जाता है।

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