Rajasthan Medical College: राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (आरएमसीटीए) ने पिछले 19 दिन से एसएमएस अस्पताल परिसर में चल रहा धरना शनिवार को खत्म कर दिया। यह निर्णय मेडिकल शिक्षा सचिव अंबरीष कुमार से चर्चा के बाद लिया गया। इसमें प्रमुख बिन्दुओं पर सहमति हो गई है। बैठक में जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर व उदयपुर मेडिकल कॉलेज के आरएमसीटीए के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
डॉक्टर को सीधे नहीं बनाया जाएगा प्रोफ़ेसर
समझौते के अनुसार अब राजमेष और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर्स को सीधे प्रोफेसर नहीं बनाया जाएगा। पहले पात्रता तय होगी, इसके बाद सहायक आचार्य भर्ती किए जाएंगे। आरएमसीटीए के अध्यक्ष डॉ. धीरज जैफ एवं सचिव डॉ. राजकुमार हर्षवाल ने बताया कि लेटरल एंट्री मुद्दों पर
सरकार ने कहा - मेडिकल शिक्षा की बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा जरूरी
सार्थक एवं सकारात्मक चर्चा हुई। सरकार ने स्पष्ट किया कि मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा आवश्यक है, ताकि पात्र अभ्यर्थियों में से सबसे योग्य का चयन सुनिश्चित हो सकें। इसी आधार पर गठित पूर्व समिति को भंग कर दिया गया है। यदि सरकार सहमति का उल्लंघन करती है, तो आरएमसीटीए सामूहिक अवकाश, शिक्षण कार्य बहिष्कार जैसे कठोर कदम उठा सकती है।
सरकार ने दिए हैं ये आश्वासन
सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन में लेटरल एंट्री के लिए गठित समिति को भंग करते हुए अब नई समिति केवल पात्रता तय करेगी। नवीन भर्ती केवल सहायक आचार्य स्तर पर की जाएगी। राजस्थान चिकित्सा सेवा (कॉलेज शाखा) अधिनियम 1962 में किसी तरह का संशोधन नहीं किया जाएगा।