Rajasthani Dal Dhokli:  राजस्थान अपने शाही परंपराओं और राजसी इतिहास के लिए जाना जाता है। लेकिन इन सबसे परे यहां के पाक व्यंजन भी लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। आज के इस लेख में हम आपको यहां के एक ऐसे व्यंजन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी जड़ें सम्राट पृथ्वीराज चौहान से भी जुड़ी हुई हैं। इस व्यंजन का नाम है दाल ढोकली।

कैसे हुई दाल ढोकली की उत्पत्ति 

ऐसा कहा जाता है कि जब राजा पृथ्वीराज चौहान कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता को उनके स्वयंवर से भगा लाए थे तो उनके पीछे कन्नौज की सेना के साथ-साथ मोहम्मद गौरी की सेना भी लग चुकी थी। इसके बाद अजमेर में उनके राज्य पर घेराबंदी कर दी गई थी। सब्जी और मांस की आपूर्ति बंद हो जाने के बाद शाही रसोई को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा था। इसी बीच एक बुद्धाशाही रसोईया जिसे नई नवेली रानी के भोजन का कार्य सोपा गया था। इस कठिन परिस्थिति में वह दुविधा में आ गया था। सिर्फ दाल और बची हुई रोटियां उपलब्ध होने की वजह से उसने कुछ नया बनाया। इस तरह दाल ढोकली का जन्म हुआ। 

कैसे बनाएं दाल ढोकली 

दाल ढोकली को बनाने के लिए मूंग दाल और चना दाल को टमाटर, हल्दी, नमक और पानी के साथ नरम होने तक पकाया जाता है। ढोकली बनाने के लिए गेहूं के आटे को नमक, हल्दी, मिर्च पाउडर, अजवाइन और तेल के साथ गूंधकर बनाया जाता है। इसके बाद आटे को बेलकर छोटे-छोटे पकोड़े बनाए जाते हैं। जब दाल उबाल जाती है तो इन ढोकली को उसमें डालकर नरम होने तक प्रेशर कुकर में पकाया जाता है। इसके बाद सरसों, जीरा, प्याज, लहसुन और हरी मिर्च का तड़का लगा दिया जाता है। परोसने से पहले इसमें ताजा धनिया और नींबू का रस मिलाकर इसके स्वाद को और बढ़ा लिया जाता है। शाही उत्पत्ति के बावजूद अब यह सब्जी हर घर में पसंदीदा बन गई है। तो इस बार जब आपका कुछ अलग खाने का मन हो तो इस दिशा को जरूर ट्राई करें।

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