Bilara Rajasthan: मारवाड़ का इतिहास जोधपुर के बिलाड़ा शहर के स्मारक और महलों में दिखाई देता है। शहर के प्रसिद्ध आई माता मंदिर में सदियों से केसर ज्योत जल रही है, जो आज भी भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इसके साथ ही डिंगड़ी माता की गुफा व मालवा के अनोखे देवल का निर्माण महाराजा हर्षवर्धन की बहन हर्षा ने बनवाया था। यह इमारतें शहर के इतिहास की आज भी गवाही दे रही हैं।
श्रीमद् भागवत में किया गया है उल्लेख
इस शहर का उल्लेख श्रीमद् भागवत के चौथे अध्याय में राजा बलि और उनके द्वारा किए गए महायज्ञ में भी इसका उल्लेख किया गया है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने बली को मारने के लिए यहीं पर वामन रूप धारण किया था। इसी स्थित पर आइपंथ का विस्तार भी किया गया था। यह जगह ऐतिहासिक व पर्यटन की दृष्टि से जरूरी है।
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माता ने दिया था लोगों को उपदेश
बताया जाता है कि राजस्थान की इस पावन धरा पर आई माता ने अपने मुखारविंद से भक्तों को उपदेश दिया था। साथ ही सदाचार, धर्म व कर्तव्य पारयणता का भी उपदेश दिया था। मंदिर में सदियों से आलोपित होकर अखंड केस ज्योत जल रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना से पहले आई माता ने भक्तों को इकट्ठा कर उनकी साक्षी में दीवान की पदवी का प्रादुर्भाव किया था। यह परंपरा सैकड़ों सालों से चलती आ रही है।
डिंगड़ी माता की गुफा
बिलाड़ा शहर के दक्षिण ओर डिंगड़ी माता की गुफा मौजूद है। अनोखी बात यह है कि यह गुफा जोधपुर के किले में स्थित मां भवानी के मंदिर की गुफा से जुड़ी हुई है। बिना अन्न जल के रही माता सती रूप कंवर का आश्रम और उनकी ओर से बनवाया गया प्राचीन शिव मंदिर आज भी लाखों भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।