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Eklingpura Village: आज हम आपको बताने जा रहे हैं राजस्थान के एक ऐसे गांव के बारे में जिसका नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। आइए जानते हैं कहां है यह गांव और क्या है इसकी खासियत।

Eklingpura Village: राजस्थान अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक पलों के लिए जाना जाता है। यहां पर कई ऐसी धार्मिक और ऐतिहासिक जगहे हैं जिसकी अपनी-अपनी खास मान्यता है। आपको बता दें कि राजस्थान में एक ऐसा गांव है जिसका भगवान शिव के नाम पर नाम रखा गया है। तो आइए इस खबर में उस गांव के बारे में जानते हैं। 

भगवान शिव के नाम पर है गांव का नाम

करीब 250 साल पहले की बात है, राणा प्रताप सागर बांध के डूब क्षेत्र में एकलिंगपुरा गांव में भगवान एकलिंगनाथ की मूर्ति को स्थापित किया गया। इस गांव में भगवान शिव की मूर्ति विराजमान है। इस मंदिर का नाम एकलिंगनाथ है। एकलिंगनाथ मंदिर के प्रति लोगों में इतनी आस्था थी कि सालों पहले उन्हीं के नाम पर अपने गांव का नाम एकलिंगपुरा रख दिया। आपको बता दें कि एकलिंगनाथ मंदिर सिर्फ इसी गांव के लिए खास नहीं है बल्कि समूचे क्षेत्र की खास पहचान है। इस मंदिर में लोगों की आस्था और भाव छिपे हुए हैं।

200 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है एकलिंगपुरा गांव

बता दें कि इस मंदिर के प्रति गांव वालों की गहरी आस्था है। इस मंदिर में भगवान शिव की करीब पौने फीट ऊंची शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर में लोग नियमित रूप से आते हैं और सच्चे मन से भगवान एकलिंगनाथ की पूजा करते हैं। गांव के समीप एक एक 200 फीट ऊंची पहाड़ी है जहां से एकलिंगपुरा गांव का नजारा देखने में बहुत ही ज्यादा आकर्षक लगता है।

शिवरात्रि पर लगता है एकलिंगनाथ मंदिर सोरती मेला

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चार दशक से भगवान एकलिंग नाथ के दरबार में शिवरात्रि पर सोरती मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेले का आयोजन शिवरात्रि से दो दिन पहले ही शुभारंभ हो जाता है। इस मेले में दूर-दूर से व्यापारी आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। 

 अखंड रामायण का पाठ

ग्रामीणों का कहना है कि सावन के महीने में एकलिंगनाथ मंदिर में अखंड रामायण का पाठ किया जाता है। ग्रामीणों के अनुसार, यह अखंड रामायण का पाठ सालों से किया जा रहा है। इस समय मंदिरों में रामायण पाठ की चौपाइयों की गूंज होती रहती है। 

गांव के समीप बना है कारागार

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पंचायत के मोहना गांव में आजादी के पूर्व में कारागार हुआ करता था। यह जो कारागार था अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। यह कारागार आज भी खंडहर के रूप में मौजूद हैं। इस गांव के लोग कृषि, पशुपालन का कार्य करते हैं।

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