Government Land: कोटा और झालावाड़ जिले के निवासियों के लिए बड़ी और जरूरी खबर सामने आई है। यहां के 8 गांवों बालाकुंड, बोरखेड़ा, सारोला कलां, लखावा, सोगरिया, काकड़दा, बिसलाई और मालनवासा की कई एकड़ जमीन पर सरकारी कब्जा होने वाला है। जी हां, 291 स्टैंडर्ड एकड़ जमीन पर सरकार कब्जा लेने की तैयारी में है। एसडीएम कोर्ट से अधिग्रहण का आदेश भी जारी कर दिया है।
800 बीघा जमीन कोटा विकास प्राधिकरण के खाते में दर्ज
लाडपुरा तहसील से पिछले 10 दिनों में करीब 800 बीघा जमीन कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए) के खाते दर्ज हो चुकी है। इसके अलावा बाकी जमीन को लेकर भी राज्य सरकार अपने राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की प्रक्रिया तेजी से कर रही है। यही नहीं हाल ही में अराफात समूह के कब्जे वाली करीब 227.15 एकड़ जमीन को भी कोटा जिला प्रशासन ने कब्जे में लिया है। जिसकी व्यावसायिक कीमत करीब 2 हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है।
54 वर्षों से चल रहा था विवाद
दरअसल, सीलिंग प्रकरण संख्या 02/2005 के अनुसार इन 8 गांवों की 742.15 स्टैंडर्ड एकड़ (4370 बीघा 03 बिस्वा) जमीन पर राज्य सरकार और चंद्रकांत राव, पुरुषोत्तम राव एवं अन्य परिवारों के बीच 54 वर्षों से विवाद था। मामला राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 और राजस्थान कृषि जोत पर अधिकतम सीमा निर्धारण नियम से जुड़ा है। जिसका नियम यह कहता है कि एक व्यक्ति के पास 30 स्टैंडर्ड एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं होनी चाहिए। जबकि इनके के पास 742.15 स्टैंडर्ड एकड़ जमीन थी। लंबी सुनवाई, अपीलों और तमाम कानूनी प्रक्रिया के बाद अब कोटा एसडीएम कोर्ट ने इस 742.15 एकड़ जमीन में से 291 स्टैंडर्ड एकड़ को सरप्लस घोषित किया।
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क्या होता है स्टैंडर्ड एकड़ का मतलब?
स्टैंडर्ड एकड़ का मतलब कृषि भूमि को उपजाऊ क्षमता और सिंचाई के आधार पर मापना होता है। हर गांव के हिसाब से यह अलग हो सकती है। जबकि सामान्य एकड़ कृषि, आवासीय, वाणिज्यिक जैसी जमीन मापी जाती है।