Rajasthan High Court: राजस्थान उच्च न्यायालय ने होमगार्ड्स के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसे राज्य के सुरक्षाकर्मियों के हित में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। न्यायमूर्ति फरजंद अली की एकल पीठ ने हरिशंकर आचार्य एवं अन्य बनाम सरकार एवं अन्य मामले में 14 सूत्री दिशानिर्देश जारी किए, जिनका पालन सभी संबंधित अधिकारियों और विभागों के लिए अनिवार्य होगा।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि प्रत्येक होमगार्ड को वर्ष में कम से कम 22 दिन सेवा देनी होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी होमगार्ड समय पर अपनी ड्यूटी निभाएँ। न्यायालय ने एचडीएमएस (होमगार्ड ड्यूटी मैनेजमेंट सिस्टम) के माध्यम से तैनाती में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इससे होमगार्ड्स के काम की स्पष्ट ड्यूटी रिकॉर्डिंग और निगरानी सुनिश्चित होगी।
महिला होमगार्ड्स का वेतन, भत्ते और भागीदारी
आदेश में वेतन और भत्तों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है। न्यायालय ने महिला होमगार्ड्स के उचित प्रतिनिधित्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि उन्हें काम में समान अवसर और भूमिकाएँ दी जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को आदेशों के क्रियान्वयन की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी सौंपी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एक ऐतिहासिक आदेश, देश में पहला
शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिमन्यु सिंह ने पक्ष रखा और उच्च न्यायालय ने मामले पर विचार करने के बाद यह निर्णय सुनाया। इसे देशभर के होमगार्ड्स के हित में एक ऐतिहासिक आदेश माना जा रहा है, क्योंकि इससे न केवल उनके कर्तव्यों का निर्धारण होगा, बल्कि उनके अधिकारों और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए कड़े दिशानिर्देश भी लागू किए गए हैं।
राजस्थान में होमगार्ड्स की तैनाती और प्रशासनिक सुधार
इस आदेश से राजस्थान में होमगार्ड्स की तैनाती, वेतन भुगतान, सेवा निगरानी और महिला होमगार्ड्स की भागीदारी अब पहले से कहीं अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी हो जाएगी। यह निर्णय राज्य के प्रशासनिक और सुरक्षा ढांचे में सकारात्मक बदलाव लाने में मील का पत्थर साबित होगा।