Rajasthan Electricity Scam: बिजली के तंत्र में सुधार करने के नाम पे राजस्थान में 237 करोड़ के घोटाले में 4 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। वही 5वें आरोपी के खिलाफ कोई भी चार्जशीट दायर नहीं कि गई है। 5वें आरोपी को तत्कालीन तकनीकी निदेशक व अजमेर डिस्कॉम के एमडी को गवाह बनाने के नाम पर बचाने के प्रयास किए जा रहें हैं।
आखिर क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बिजली के गुणवत्ता में सुधार के नाम पर 237 करोड़ का घोटाला सामने आया था, जिसमें बिजली विभाग ने कमेटी बनाई थी और कई अधिकारियों की गलतियां साबित हुई थी। इसके बाद उनको कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था, इसके पश्चात फिर तथ्य जांच कमेटी बनाई गई उसने भी अपनी रिपोर्ट दी। लेकिन उसके बाद भी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई होती नही दिख रही।
आखिर आरोपी को क्यों बचाया जा रहा है?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर आरोपी के खिलाफ जांच रिपोर्ट औऱ जरूरी दस्तावेज होने के बावजूद उसे क्यों बचाया जा रहा है? जानकारी के मुताबिक आरोपी को बचाने के लिए ऊर्जा विभाग के बड़े-बड़े अधिकारी लगे हुए हैं। यही नहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय की डिस्कॉम अफसर और अनुबंधित कंपनी के अधिकारियों की भी मिलीभगत बताई जा रही है।
इन लोगों के नाम चार्जशीट दायर
●मुख्य अभियंता अनिल गुप्ता
●वित्त निदेशक एसएन माथुर
●पूर्व एमडी आरएन कुमावत
●मुख्य अभियंता आरके मीणा को चार्जशीट मिली हुई है।
● लेकिन, अजमेर डिस्कॉम के एमडी के.पी. वर्मा को कोई चार्जशीट नहीं मिली हुई है।
विधानसभा में उठा सवाल
भाजपा विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा ने घोटाले को लेकर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया। विधानसभा में प्रश्न उठते ही डिस्कॉम प्रबंधन ने चार्जशीट देने की प्रक्रिया को तेज कर दी। फिलहाल डिस्कॉम प्रबंधन उठ रहे सवालों के जबाव देने की तैयारी कर रहा है।
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