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Rajasthan Shiai championship: भीलवाड़ा की प्रियल गर्ग ने देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया। उन्होने श्रीलंका में हुई यूथ एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत को सिल्वर मेडल दिलवाया।

Rajasthan Shiai championship:  भीलवाड़ा जिले की बेटियों ने एक बार फिर से प्रदेश का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है।अश्विनी बिश्नोई  और कशिश गुर्जर की सफलताओं के बाद अब भीलवाड़ा की प्रियल गर्ग ने कुश्ती के खेल में देश को सिल्वर मेडल दिलवाया। श्रीलंका में हो रही इस यूथ एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में प्रियल का शांदार प्रदर्शन किया। प्रियल की इस सफलता के बाद पूरे भीलवाड़ा जिले में खुशी का माहौल है। 

80 किलोग्राम से ज्यादा की श्रेणी में हासिल किया सिल्वर

प्रियल अपनी आत्मरक्षा के लिए बॉक्सिंग बग पर पंचिंग करती थी। बाद में उनका यही अभ्यास उनका करियर बन गया। जिसके बाद उन्होंने बॉक्सिंग में ओर ज्यादा मेहनत की। प्रियल भीलवाड़ा के शास्त्री नगर  की रहने वाली हैं। उन्होंने श्रीलंका में हुई इस बॉक्सिंग चैंपियनशिप के अंडर - 22 में 80 किलो से ज्यादा की श्रेणी में सिल्वर मेडल जीता। 

फाइनल मैच कजाकिस्तान की विश्व चैंपियन से हुआ था

प्रियल का फाइनल मैच कजाकिस्तान की जहक्सेल्याक सबीना (विश्व चैंपियन) से हुआ था। यह मैच सुगाथादासा स्टेडियम में हुआ था। चैंपियनशिप में एशिया के 23 देशों की खिलाड़ियों ने भाग लिया था। यूथ एशियन चैंपियनशिप को जीतकर प्रियल ने इतिहास तो रचा ही, साथ ही प्रियल अब भीलवाड़ा की पहली अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर बन गई हैं। उनकी इस जीत पर भीलवाड़ा के समेत पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है। 

पिता से मिली प्रेरणा

प्रियल के पिता विजय शर्मा बताते हैं कि प्रियल में उन्हें उनके बचपन से ही एक खिलाड़ी दिखाई देता था। जिसके बाद उन्होंने प्रियल को 5वीं क्लास से ही ग्राउंड पर भेजना शुरू कर दिया था। प्रियल पहले जिम्नास्टिक में भी रह चुकी हैं, लेकिन चोट की वजह से वे जिम्नास्टिक से ज्यादा नहीं जुड़ पाईं। बाद में उन्होंने स्विमिंग के साथ साथ क्रिकेट में भी खुद के साबित करने की कोशिश की। लेकिन न तो उन्हे इन खेलों में कामयाबी मिली ओर न ही उनका मन लगा।

प्रियल की मेहनत रंग लाई

उनके पिता ने उन्हें आत्मरक्षा के लिए बॉक्सिंग सीखने की सलाह दी और बाद ने प्रियल को बॉक्सिंग सीखने के लिए भेजा। अकादमी में उन्होंने बॉक्सिंग के लिए 5 साल कड़ी मेहनत की। आज इसी मेहनत का नतीजा है कि प्रियल आज अंतरराष्ट्रीय लेवल पर  सिल्वर मेडल जीत पाई। उनके पिता को प्रियल पर पूरा भरोसा था कि प्रियल एक दिन देश को मेडल जरूर दिलवाएगी।

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