Bharatpur Railway: रेलवे विभाग ने स्टेशन के पास तूफानी नगला में अतिक्रमण पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। दरअसल यहां पर लगभग 140 परिवारों ने 9 हजार वर्ग मीटर की जमीन पर मकान और दुकानें बना ली हैं। रेलवे अधिकारियों ने पांच निवासियों को बेदखली नोटिस जारी करके 10 दिनों के अंदर जमीन खाली करने को कहा था। अब रेलवे द्वारा सार्वजनिक परिसर अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू होने जा रही है।
पट्टा विवाद और स्वामित्व के दावे
इस क्षेत्र के लगभग 140 घरों में से मात्र 25 से 30 संपत्ति मालिकों ने ही शहरी सुधार न्यास या फिर नगर निगम द्वारा जारी वैध पट्टे होने का दावा किया है। कुछ पट्टे 1981-82 में दिए गए थे तो कुछ पिछले महीने ही जारी किए गए थे। इन दस्तावेजों के बावजूद भी रेलवे यह कहता है की जमीन उनकी है। इसके बाद स्वामित्व को लेकर कानूनी और प्रशासनिक विवाद छिड़ चुका है।
रेलवे अधिकारियों द्वारा जब नोटिस देने की कोशिश की गई तो निवासियों ने उन्हें घेर लिया। इसके बाद तीखी बहस हुई। विवाद को बढ़ाने से बचने के लिए अधिकारियों ने पीछे हटने से पहले केवल पांच ही नोटिस दिए। बाकी के नोटिस अब डाक से भेजे जाएंगे।
राजनीतिक हस्तक्षेप और अदालत कार्यवाही
यह मुद्दा अब राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। राज्य कांग्रेस कमेटी के सदस्य और पूर्व पार्षद सतीश सोगरवाल का दावा है कि निवासियों के पास जो पट्टे हैं वह वैध हैं। साथ ही उन्हें सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रदान की जाने वाली पानी और बिजली कनेक्शन जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं मिली हुई हैं।
संभावित परिणाम
अब यदि बेदखली का समय बिना किसी समाधान के बीत जाता है तो रेलवे अधिकारी अतिक्रमण को बलपूर्वक हटा सकते हैं। चल रहे कानूनी विवाद और राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से कार्यवाही में देरी हो सकती है और इसमें बदलाव भी आ सकते हैं।
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