Royal King Of Rajasthan: यूँ तो भारत का इतिहास राजाओं और महाराजाओं की वीरता और रुआब की कहानियों से भरा हुआ है लेकिन कुछ ऐसी कहानी भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं अलवर के महाराजा जयसिंह प्रभाकर के बारे में। लंदन के मेफेयर के रोल्स-रॉयस के शोरूम में हुए अपमान का बदला उन्होंने कुछ इस तरह से लिया की उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।

क्या थी पूरी कहानी 

दरअसल हुआ यूं की महाराजा जयसिंह प्रभाकर को रोल्स-रॉयस शोरूम में एक सेल्समैन ने सादे कपड़े पहने होने के कारण आम आदमी समझा और उनका अपमान कर दिया। इस अपमान से आहत होकर महाराज कुछ ही देर बाद पूरे शाही परिधान में गहनों से सजे हुए अपने शाही दल के साथ वापस लौटे। उसके बाद उन्होंने तुरंत ही 10 रोल्स-रॉयस कारों का ऑर्डर दे दिया और 6 का भुगतान मौके पर ही कर दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि इनमें से चार को भारत में डिलीवर कर दिया जाए। इसके बाद जो हुआ उसने दुनिया को चौंका दिया। 
वापस आने के बाद महाराज जय सिंह ने उन रोल्स-रॉयस गाड़ियों को नगर निगम में कचरा इकट्ठा करने के इस्तेमाल में दे दिया।  अब अलवर की सड़कों पर लग्जरी कारों को कचरा ढोते हुए देखकर ब्रिटिश निर्माताओं को झटका लगा। उन्होंने कथित तौर पर महाराजा से माफी मांगी और अपनी प्रतिष्ठा को सुधारने के लिए मुफ्त में बाकी की कारें देने की पेशकश की। 

कैसे बीता महाराजा जयसिंह का जीवन 

दरअसल 1892 में अपने पिता सर मंगल सिंह प्रभाकर की मृत्यु के बाद मात्र 10 वर्ष की आयु में ही महाराजा जयसिंह प्रभाकर ने अलवर की गद्दी संभाल ली थी। उन्होंने अजमेर के मेयर कॉलेज से अपनी शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद 1903 में वायसराय लॉर्ड कर्जन ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से पूरा शासन सौंप दिया। महाराजा को सचिव एडविन मांटेगू द्वारा सबसे प्रतिभाशाली भारतीय का दर्जा दिया गया। 

सिर्फ इतना ही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार महाराज को अपने पसंदीदा घोड़ों को मुंबई ले जाना था। तो उन्होंने एक निजी ट्रेन की व्यवस्था की और साथ ही एक पांच सितारा सुइटबुक किया, वो भी घोड़ों के लिए।

अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने अलवर में कई विकास किए। उन्होंने एक आधुनिक अस्पताल की स्थापना की, कई बांध बनवाई जिससे राज्य को अकाल से बचने में काफी मदद मिली। इसी के साथ उन्होंने जय विलास और विजय मंदिर पैलेस जैसे कई भव्य महल बनवाए।

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