Rajasthan Hospital News: जेएलएन अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की जांच में लगी हुई ब्लड टेस्ट मशीन में बड़ा खेल का मामला सामने आया है। इन मशीनों में विशेष सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट न होने से दूसरी कंपनियों की जांच किट फिट ही नहीं होती है, ऐसे में प्रशासन को मजबूरन मेहंगी किट खरीदनी पड़ रही है। जबकि मशीन अस्पताल में दान के रूप में लगाई गई हैं। वहीं ऐसा बताया जा रहा है की मशीन दान में देने वाली कंपनियां जानबूझकर इस तरह का सॉफ्टवेयर लगा रहे हैं ताकि उनकी ही किट को मशीन एक्सेप्ट करें और दूसरी कंपनी की किट मशीन में न लगे।
महंगी दरों पर मनमर्जी रेट लगाकर जांच किट सप्लाई की जा रही
ऐसे में अस्पताल को लाखों रुपए महंगी किट खरीदने के अलावा कोई और चारा नजर नहीं आ रहा है। मजबूरन उन्हें महंगी किट खरीदनी पड़ रही है। इसी चीज का फायदा उठाते हुए डोनेट की गई मशीनों के लिए महंगी दरों पर मनमर्जी रेट लगाकर जांच किट सप्लाई की जा रही है। अस्पताल के एक्सपर्ट्स ने मशीनों में महंगी दरों पर खरीदे जा रहे किट को लेकर गोपनीय जांच की तो इस बात का खुलासा हुआ कि 35 किट आती है जिससे 36 लोगों की अलग-अलग जांच होती है यह किट 6000 तक आती है, लेकिन डोनेट की गई मशीनों के लिए ₹13000 में खरीदी जा रही हैं।
प्रेग्नेंट महिलाओं में होने वाली टॉर्च की जांच केवल जेएलएन अस्पताल में ही होती है
इन मशीनों के किट के लिए ओपन टेंडर की वजह क्लोज टेंडर दिए जा रहे हैं यानी सिर्फ इस फर्म की एजेंसी ही हिस्सा ले सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रेग्नेंट महिलाओं में होने वाली टॉर्च की जांच केवल जेएलएन अस्पताल में ही होती है। जिसमें पांच प्रकार के जांच किए जाते हैं। इसमें प्रसव से पहले गर्भवती को नवजात शिशु के रक्त की जांच करते हैं। इनमें टॉक्सो प्लाजमा, रूबेला, साइटो मेगालो वायरस, एच हरपीएस, डीएनए, टीटीजी की जांच शामिल हैं। यह जांच इस अस्पताल के अलावा जयपुर में होती है।
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आपको बताते चलें कि टेक्नीशियन के मुताबिक 150 रुपये की किट की जगह 363 रुपये प्रति किट तक का भुगतान करना पड़ रहा है। इससे साल भर में अस्पताल पर लाखों रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ रहा है।









