Rajasthan Development: दादिया में आयोजित एक सहकारिता एवं रोजगार महोत्सव के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक बड़ी घोषणा की है। दरअसल राज्य में आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए रोजगार सृजन और राज्य भर के सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के लिए एक नई सहकारी संहिता लागू होने जा रही है। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और अमित शाह के मार्गदर्शन में शुरू की गई है। 

राजस्थान में सहकारी समितियों को जोड़ना 

राजस्थान में फिलहाल 41000 से अधिक सहकारी समितियां हैं। यह समितियां 1.10 करोड़ से ज्यादा नागरिकों से सीधे जुड़ी हुई हैं। आपको बता दें कि यह समितियां राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक केंद्र है जो जरूरी सेवाएं प्रदान करती हैं। वर्तमान प्रशासन के अनुसार राज्य ने 976 नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां की सफलतापूर्वक स्थापना की है। 

सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक ने कहा कि पिछले 4 सालों में सहकारिता मंत्रालय ने सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित और मजबूत बनाने में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

क्या है सहकारी संहिता का फायदा 

राजस्थान में आने वाली सहकारी संहिता का उद्देश्य सहकारी माध्यम से आर्थिक अवसरों को बढ़ाना, गरीबी को कम करना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। आइए जानते हैं कैसे: 

सस्ती वस्तुएं और सेवाएं 

दरअसल उपभोक्ता सहकारी समितियां एक उचित मूल्य पर वस्तुएं उपलब्ध कराएंगी। इसके बाद आवश्यक वस्तुओं का बिना किसी भारी वित्तीय बोझ के मिलना सुलभ हो जाएगा। 

वित्तीय समावेशन 

सहकारी बैंक को रन समितियां हास्य पर पड़े समूह और ग्रामीण नागरिकों को ऋण और बैंकिंग सेवाएं प्रदान करेंगी‌। इसके बाद में कृषि, आवास, छोटे व्यवसाय के लिए पूंजी जुटाना में समर्थ हो पाएंगे।

कौशल विकास और रोजगार 

कई सरकारी समितियां द्वारा प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास पर ध्यान दिया जाएगा। इसके बाद स्थानीय रोजगार सृजित होंगे और व्यक्तियों को नौकरी के लिए तैयार किया जाएगा।

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