Gujjar Mahapanchayat: फटे में टांग अड़ाना ये कहावत रविवार को भरतपुर जिले के पूलूपुरा में आयोजित की गुर्जर महापंचायत पर बिल्कुल सटीक बैठती है। राज्य के इस आयोजन में दूसरे राज्य के नेताओं के हस्तक्षेप के पीछे का कारण क्या है? सबसे बड़ा सवाल यह बनता है कि आखिरकार जब महापंचायत का उद्देश्य राजस्थान से संबंधित है तो ऐसे में दूसरे राज्यों के नेताओं को इसमें क्यों शामिल क्या जाता है?
पंचायत में पहुंचे यूपी के विधायक
यह सवाल तब उठ रहा है जब गुर्जर महापंचायत में यूपी से विधायक अतुल प्रधान भरतपुर पहुंचे। बता दें कि यह महापंचायत गुर्जर आरक्षण के लिए आयोजित कराई गई थी, जिसमें यूपी के नेताओं के आने का कोई तुक नहीं हैं। क्योंकि यह मुद्दा राजस्थान के गुर्जर समाज से संबंधित है और इसकी मांग भी राजस्थान सरकार से की जा रही है।
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आरक्षण मांग भी राज्य स्तर ही की जा रही हैं, लेकिन फिर भी दूसरे राज्य क्यों इसमें अपनी टिप्पणी देने आ रहे हैं। याद कीजिए साल 2008 जब इसी तरह की परिस्थितियों ने राजस्थान को हिंसा की आग में झोंक दिया था। रेलवे ट्रैक, हाईवे, बसें सब कुछ ठप हो गया था। आज फिर वही हालात बनने की आशंका जताई जा रही है।
समिति के अध्यक्ष के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है यह कदम
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला के लिए यह महापंचायत आत्मघाती साबित हो सकती है क्योंकि दूसरे राज्यों का हस्तक्षेप सही नहीं है। ऐसे में यह विजय बैंसला द्वारा जिस नेता को बाहर से आमंत्रित किया गया है, इससे साफ अंदेशा लगाया जा सकता है कि वह ऐसा करके खुद को वो ताकतवर दिखाने की कोशिश में हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह महज राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन है या फिर एक साजिश? वहीं जब महापंचायत समाप्त हो गई तो शांतिपूर्वक तरीके से घर जाना चाहिए था। राजस्थान के बाहर से आए लोगों की साज़िश थी कि गुर्जरों के नाम पर दंगे भडकाए जाएं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, रविवार भरतपुर के पीलूपुरा में गुर्जर आरक्षण को लेकर महापंचायत आयोजित की गई थी। इस दौरान आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने आरक्षण समेत अन्य मांगों का मसौदा पढ़ा। पंचायत खत्म होने के बाद यूपी से आए विधायक अतुल प्रधान ने साजिश के तहत युवाओं को भड़काया और राजस्थान के स्वार्थ के माहौल को बिगड़ने का प्रयास किया। इसके बाद नाराज युवाओं द्वारा कोटा-मथुरा पैसेंजर ट्रेन को पटरियों पर रोककर हंगामा करने की कोशिश की गई, जिसके बाद गुर्जर समाज के पंच-पटेल ने समझाने की कोशिश की।