E Registry of Property: ऑनलाइन सिस्टम के जरिए अब संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के केंद्र का प्रयासों के बावजूद जयपुर ने अभी तक इस नए तरीके को लागू नहीं किया है। शहर में पंजीकरण का पुराना तरीका ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
केंद्र सरकार का विजन
संपत्ति के लेनदेन में पारदर्शिता को लाने के लिए केंद्र सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। इस नए तरीके का उद्देश्य 117 साल पुराने पंजीकरण अधिनियम में बदलाव लाना और बिक्री अनुबंध, पावर ऑफ अटॉर्नी दस्तावेज और अन्य कानूनी कागजात को पंजीकृत करने के लिए डिजिटल प्रणाली को शुरू करना है। इस नई प्रणाली के अनुसार अब किसी भी व्यक्ति को उप पंजीयक के कार्यालय में जाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। बल्कि वह अपनी आईडी और सहायक दस्तावेजों को ऑनलाइन ही सत्यापित कर सकेंगे। इसके बाद उन्हें अपने रजिस्ट्री को ट्रैक करने के लिए एक लिंक और पासवर्ड मिलेगा। जब यह लिंक और पासवर्ड स्वीकृत हो जाएगा उसके बाद अंतिम दस्तावेज डाउनलोड कर पाएंगे।
जमीनी स्तर पर चुनौतियां और सार्वजनिक असुविधाएं
आपको बता दें कि जयपुर में संपत्ति पंजीकरण 15 कार्यालय में किया जाता है। हर दिन लगभग 3000 से अधिक पंजीकरण किए जाते हैं। हालांकि ऐसा प्रावधान है कि पंजीकृत दस्तावेजों को 24 घंटे के भीतर वापस करना होता है। लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों और कर्मचारियों की कमी के साथ-साथ सर्वर की समस्याओं की वजह से इस प्रक्रिया में अक्सर देरी हो जाती है। लोगों को 10 से 15 दिन तक इंतजार करना पड़ता है और अगर छुट्टियां पड़ जाए तो यह प्रतिष्ठा 20 दिनों तक बढ़ जाती है। इस दौरान बिजली और पानी के कनेक्शन और बैंक ऋण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया काफी ज्यादा प्रभावित होती हैं।
यह बदलाव क्यों है जरूरी
विशेषज्ञों के मुताबिक नई प्रणाली के लाभ तभी महसूस किए जा सकते हैं जब सरकार डिजिटल बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करे। इसके बाद एक स्थिर इंटरनेट कनेक्शन को सुरक्षित करना काफी जरूरी है और अप पंजिकीय कार्यालय को पर्याप्त प्रशिक्षित कर्मचारी नियुक्त किए जाएं।
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