Rajasthan Farmer: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में सीताफल की खेती किसानों के लिए रामबाण बन रहा है। बता दें कि राज्य में पिछले तीन से चार साल में इसका रकबा भी दो गुना से अधिक हो गया है। अच्छे दाम मिलने व कई चीजों में काम आने की वजह से इसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। 

लगातार बढ़ रहा उत्पादन

जानकारी के लिए बता दें कि सीताफल का सबसे बड़ा केंद्र राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में ही है। देश में पाई जाने वाली सीताफल की विभिन्न किस्मों पर शोध कर अच्छी किस्में तैयार की जा रही है, जो किसानों को लगातार अच्छा उत्पादन दे रहे हैं। फिलहाल इसके 29 किस्म के पौधे मौजूद है। इनमें से खास एनएमके-ए गोल्डन किस्म किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है।

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खास बात यह है कि इसका एक फल का वजन लगभग 800 ग्राम तक होता है। साइज में बड़े में होने के कारण इसमें पल्प भी अच्छा निकलता है। 

बढ़ता जा रहा है फल का क्रेज 

राज्य के काश्तकारों में लगातार इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है। साथ ही इस पौधे को ज्यादा देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है। इसका दाम 50 से 70 रुपए किलो के बीच रहता है। जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। इसी तरह अन्य किस्मों की विभिन्न विशेषता है। यह पौधे चित्तौड़गढ़ से कोटा, जयपुर, अजमेर आदि जगहों पर भेजे जाते है। वहीं हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में यहां से पौधे भेजे जाते हैं। 

पल्प से बनाई जाती है कई चीजें 

सीताफल के पल्प से अन्य कई चीजें भी तैयार की जाती हैं। इसमें सबसे ज्यादा आइसक्रीम बनाई जाती है, जो लोगों के बीच काफी फेमस है। वहीं सीताफल का कस्टर्ड, रबड़ी, शैक, मिठाई व बासुंदी तैयार की जाती है। मेवाड़ इलाके में सबसे अधिक सीताफल के पौधे उगाए जाते हैं। इसको उगाने के लिए अधिक पानी की भी जरूरत नहीं होती है। अन्य फसलों के मुताबिक इसमें रोग भी कम लगते हैं।