War Museum Jaisalmer: जैसलमेर से सिर्फ 12 किलोमीटर पूर्व में स्थित युद्ध संग्रहालय भारत की सैन्य शक्ति की वीरता का जीवंत प्रमाण है। इस संग्रहालय में 1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध से जुड़ी हुई चीजें आज भी रखी हुई है। आईए जानते हैं संग्रहालय से जुड़ी हुई कुछ मुख्य बातें।
उत्पत्ति और मान्यता
यह संग्रहालय 24 अगस्त 2015 को लेफ्टिनेंट जनरल अशोक सिंह द्वारा आधिकारिक रूप से राष्ट्र को समर्पित किया गया था। 2016 में इस संग्रहालय को एशिया के शीर्ष 25 संग्रहालय में जगह मिली। इस संग्रहालय में 1971 की लोंगेवाला की लड़ाई से जुड़े कुछ प्रमाण आज भी मौजूद है। 1971 की लड़ाई में मेजर कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एक छोटी सी भारतीय टुकड़ी ने रेगिस्तान मुठभेड़ में अपने से ज्यादा पाकिस्तानी सिपाहियों को रोक दिया था। लोंगेवाला हॉल में व्यक्तिगत डायरियां, युद्ध के मैदान के नक्शे और प्रत्यक्ष ऑडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है।
हंटर लड़ाकू विमान और अनेक बख्तरबंद रिकवरी वाहन
इस संग्रहालय की बाहरी गैलरीज में बख्तर बंद वाहन और विमानों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की गई है। आगंतुकों को यहां पर शर्मन, टी-59, विजयंत और टी-55 टैंक देखने को मिलते हैं। इसके अलावा सेवानिवृत्त हंटर विमान और पैडस्टल भी यहां पर मौजूद है। इन दोनों विमानों ने 1965 और 1971 की लड़ाई में हवाई सहायता में महत्वपूर्ण योगदान निभाया था।
व्यक्तिगत कलाकृतियों से लेकर मल्टीमीडिया गैलरी तक
संग्रहालय के अंदर आपको वर्दी, पदक और छोटे हथियार के साथ-साथ इंटरएक्टिव किओस्क देखने को मिलेगा। इसके अलावा यहां पर आपको तोपखाने के गोले, फील्ड टेलीफोन और कैंटीन घर के मार्मिक पत्रों को देखने का मौका मिलेगा।
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