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Ashok Gehlot : न तो सरकार गिर रही थी न कोई गिरा रहा था। यह सिर्फ और सिर्फ एक षड्यंत्र था । यह कहना है पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा का उन्होंने बताया कि इससे एक तरह का राजनीतिक माहौल बनाया गया था।

Ashok Gehlot : राजस्थान की राजनीति में दो ही दल सक्रिय हैं, जिसमें एक सत्ता दल भाजपा और दूसरा कांग्रेस। जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थी। उस दौरान सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच खूब अनबन हुई। उन्होंने यहां तक दावा किया कि उनकी सरकार को गिराने की बहुत गहरी साजिश रची जा रही है। हालांकि इन बातों को वो साबित नहीं कर सके। इसी को लेकर पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा राजस्थान वन से खास बातचीत की और पूरी कहानी को स्पष्ट किया।

क्या सच में सरकार गिराने की साजिश की गई?

ना तो सरकार गिर रही थी ना कोई गिरा रहा था। यह सिर्फ और सिर्फ एक षड्यंत्र था । यह कहना है पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा का उन्होंने बताया कि इससे एक तरह का राजनीतिक माहौल बनाया गया था। क्योंकि राजस्थान में उन दिनों तेजी से युवा टीम बन रही थी और केंद्रीय नेतृत्व भी उसे पसंद कर रहा था। चाहते थे कि अब राजस्थान की कमाल नौजवान लोग संभालें। यही कारण है कि तात्कालिक सीएम को हमेशा यह डर लगा रहता था कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से कभी भी हटाया जा सकता है। इसलिए उन्होंने ये कहानी रची। 

अशोक गहलोत की हठधर्मिता से गिरी सरकार

पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश की जनता और आलाकमान ने अशोक गहलोत को बहुत कुछ दिया लेकिन उन्होंने उसके बदले कुछ नहीं लौटाया। तीन बार आलाकमान ने पार्टी ने उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। तीनों बार आप देखेंगे कि पहला जब टर्म था 156 से हम 56 पर रह गए थे। दूसरे टर्म में हम मात्र 21 पे रह गए। तीसरे टर्म में जहां हम सरकार वापसी कर सकते थे। यानी राजस्थान एकमात्र ऐसा प्रदेश था जहां शत प्रतिशत उम्मीद थी कि हम सरकार वापस लेकर आ सकते हैं। लेकिन तीसरे टर्म में भी अपनी हठधर्मिता के चलते और अपने लोगों को आगे बढ़ाने के चलते सरकार की वापसी नहीं करवा पाए। 

2018 में सचिन पायलट बन रहे थे सीएम

2018 में जब परिणाम आ गए तो आलाकमान को कहीं ना कहीं तो अंदेशा था कि भ अब नए लोगों को अवसर दिया जाना चाहिए। राहुल गांधी जी के यहां से एक तस्वीर एक पोस्ट जारी हुई जिसमें मुख्यमंत्री बनने से पहले की बात बता रहा हूं मैं। एक तरफ अशोक गहलोत जी थे, एक तरफ सचिन पायलट जी थे और बीच में स्वयं राहुल गांधी जी थे। तो जब वो फोटो जारी हुई तो यह संदेश पूरे प्रदेश और देश को गया कि आने वाले कुछ समय में राजस्थान की कमान सचिन पायलट को सौंपी जा सकती है। उसके पहले स्वयं अशोक गहलोत ने यह रिक्वेस्ट बार-बार की कि भाई मुझे इस इस बार मुख्यमंत्री एक बार बना दो। फिर आप जैसा कहेंगे मैं वो करूंगा। हालांकि सचिन पायलट ने लोगों को यह मैसेज दिया कि अगर यह व्यक्ति एक बार मुख्यमंत्री बन गए तो यह कुर्सी छोड़ेंगे नहीं। 

अपनी कुर्सी बचाने के लिए रची साजिश

जो षड्यंत्र उन्होंने रचा था कि मैं तो मुख्यमंत्री बना रहूं लेकिन जिस व्यक्ति से मुझे डर है कि मेरी जगह इन्हें बनाया जा सकता है, उसका पत्ता इस तरीके से साफ करूं, उसे इस तरीके से बदनाम करूं कि पार्टी के साथ-साथ आम जन की भावना भी उन्हें गद्दार समझे और उनके खिलाफ हो जाए और उसमें वह पूरी तरह से सफल रहे। यहां तक कि सचिन के पिता राजेश पायलट के बारे में भी ऐसे ऐसे शब्द यूज़ किए जिनको मैं कैमरे पर यूज भी नहीं लेना चाहता। अपने इरादों को पक्का करने का सही समय उन्हें तब मिला जब मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सरकार गिरी। इसके बाद उन्होंने यह दिखाने में सफलता पाई कि मैं एक अच्छा राजनेता हूं 

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