Rajasthan Doria Saree: राजस्थान को उसके शाही अंदाज और संस्कृति के लिए जाना जाता है। राजस्थानियों को शाही आदर सत्कार के साथ शाही खाने के लिए और शाही पहनावे के लिए पहचाना जाता है। राजस्थान के पहनावे को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में जाना जाता है। राजस्थानी महिलाओं का पहनावा को अन्य राज्यों की महिलाएं भी पहनना पसंद करती है। राजस्थान के पोशाकों की सबसे खास बात यहां का शाहीपन है, जो लोगों को अपनी ओर खींचता होते हैं।

शाही साड़ी का इतिहास

राजस्थान में साड़ियों पर होने वाली शाही बुनाई का अपना एक इतिहास है, जो अपनी ओर आकर्षित करती है। राजस्थान की जाने वाली साड़ी पर शाही बुनाई का इतिहास 100 साल पुराना है। पहले राजाओं की पगड़ियों के लिए भी इस साड़ी का इस्तेमाल किया जाता था। इसके साथ ही आपको बता दें कि इसे कोटा की डोरिया साड़ी के रूप में भी जाना जाता है। जो कि कैथून गांव की कला का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, बता दें कि मैसूर से कई परिवारों ने इस कला की शुरुआत की थी और कोटा के राजपरिवार ने आज तक संरक्षित कर रखा है। 

कोटा डोरिया साड़ी की खासियत

राजस्थान की प्रसिद्ध शाही कोटा डोरिया साड़ी सभी साड़ियों से अलग है, जिससे की ये शाही साड़ी राजस्थानियों की आज तक पहली पसंद बनी हुई है। इस शाही बुनाई वाली डोरिया साड़ी की भी अपनी एक खासियत है। कोटा डोरिया साड़ी अपने क्लासिक सुंदरता के साथ आरामदायक भी है। जिसकी वजह से इस साड़ी का कभी फैशन नहीं जाता है। ये हमेशा लोगों की पहली पसंद के साथ सदाबहार पहनी रहती है। 

इस साड़ी में छोटे और चौकोर आकार के खेत की बुनाई की जाती है। जो इस साड़ी को एक शाही लुक प्रदान करती है। इसके साथ ही आपको बता दें कि इस साड़ी के अंदर एक विशेष प्रकार की चमक और पारदर्शिता होती है। ये अपने हल्के वजन के लिए भी पसंद की जाती है। जिसे राजस्थान की तपती गर्मी में भी आसानी से बिना सोचे पहनी जा सकती है। 

शाही बुनाई में 20 दिन का समय

इस शाही साड़ी की बुनाई को आज भी पारंपरिक करघों से किया जाता है। इन करघों से बनने वाली हर एक साड़ी में इस पर की गई मेहनत झलकती है। इस साड़ी को लेकर सबसे विशेष बात तो ये है कि इस साड़ी को बनने में 20 दिन का समय लगता है, उसके बाद ही कोटा डोरिया साड़ी बनकर तैयार होती है।

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