Rajasthan Health Scheme: राजस्थान में स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार फर्जीवाड़े को लेकर विवाद चल रहा है। इन फर्जीवाड़ों की वजह से सबसे ज्यादा समस्या आम जनता को आ रही है। प्राइवेट एजेंसी के बारे में अक्सर फर्जीवाड़े की खबर सुनने को मिलती है। लेकिन जब किसी सरकारी योजना में भी कोई फर्जी कंपनी काम कर रही हो, तो इससे लोगों का सरकार के प्रति भरोसा खत्म हो जाता है। क्योंकि एक सरकार की योजनाएं ही होती हैं, जिन पर लोग आंख बंद करके विश्वास करते हैं।

RGHS में फर्जीवाड़ा 

राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में फर्जीवाड़ा किए जाने को लेकर विवाद चल रहा है। जिसमें बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य (मां) योजना में फर्जी क्लेम पास करने वाली प्राइवेट एजेंसी पूरे 4 साल से काम कर रही है। इस फर्जीवाड़े को लेकर एक जांच की गई, जिसमें 31 जनवरी 2025 तक थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर रही एमडी इंडिया कंपनी मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में कई अस्पतालों की तरफ से बिलों की जांच कर रही थी।

योजना में 10 हजार करोड़ क्लेम

मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में इस कंपनी के साथ अन्य 3 कंपनियों को भी शामिल किया गया है। इनके द्वारा बिल पास करने के बाद ही इंश्योरेंस कंपनी जांच कर भुगतान करती है। जिसमें 4 साल में लगभग 10 हजार करोड़ क्लेम हो चुके हैं।

योजना के फर्जीवाड़े पर उठे सवाल

राजस्थान में इस योजना में हो रहे फर्जीवाड़े को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिसमें सबसे मुख्य सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग के पास फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए वित्त विभाग जैसी QCPI सेल क्यों नहीं है, जिसका जवाब स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं है। 

बता दें कि इस योजना में प्राइवेट अस्पतालों के क्लेम खारिज किए जाने की दर केवल 3.76 प्रतिशत है। वहीं स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों में यह दर 5 से 10 प्रतिशत और मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में 0.8 प्रतिशत है।

इसे भी पढ़े:- Rajasthan Health Department: मच्छर जनित बीमारियों पर लगेगी लगाम, ऐप के माध्यम से की जाएगी ब्रीडिंग साइट मॉनिटरिंग