Farmers Benefit: राज्य सरकार द्वारा बैल पालन प्रोत्साहन योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाए जा रहा है। दरअसल यह योजना अव्यावहारिक परिस्थितियों के कारण बाधित थी। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक बैल आधारित खेती करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को ₹30 हजार की सालाना प्रोत्साहन राशि प्रदान करना था। लेकिन इसके शुरू होने के 5 महीना के अंदर जिले में कोई भी आवेदन जमा नहीं हुआ।
बीमा संबंधित प्रावधान बाधा बन रहा
आपको बता दें कि मुख्य बाधा यह थी कि किसानों को लाभ प्राप्त करने से पहले अपने बैलों का बीमा करना जरूरी था। इसमें मुश्किल यह हुई कि राज्य में किसी भी बीमा कंपनी ने दुधारू पशुओं के अलावा बाकी पशुओं के लिए बीमा प्रदान नहीं किया। अब कृषि और पशुपालन विभागों के बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद भी किसानों को कोई रास्ता नहीं मिला।
इसके बाद एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने अनिवार्य बीमा प्रावधान को हटा दिया है। अब किसानों को योजना के लिए आवेदन करने के लिए सिर्फ एक पशु स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
बैलों की संख्या में गिरावट चिंता का विषय
किसानों का कहना है कि समय बहुत बदल चुका है। पहले हर गांव में दर्जनों बैल जोड़े होते थे। जिनका इस्तेमाल खेतों की जुताई और कृषि कार्यों के लिए होता था। लेकिन वर्तमान समय में ट्रैक्टरों और आधुनिक सिंचाई उपकरणों के आने के बाद बैलों पर निर्भरता काफी ज्यादा कम हो चुकी है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैलों की संख्या में गिरावट आई है।
दरअसल पारंपरिक पशु मेले जो कभी बैलों के व्यापार और प्रदर्शन का केंद्र हुआ करते थे अब वह भी अपना महत्व को चुके हैं। सरकार की इस योजना का उद्देश्य किसानों को बेल चालित कृषि पद्धतियों को वापस से अपने के लिए प्रोत्साहित करना है।
छोटे और सीमांत किसानों को बढ़ावा
जैसे ही बीमा की बाधा हट जाती है इस योजना से छोटे और सीमांत किसानों को सीधा लाभ होगा। उन्हें ₹30 हजार की सालाना प्रोत्साहन राशि पारंपरिक कृषि पद्धतियों को बनाए रखने के लिए एक विद्या सहायता प्रदान करेगी। अधिकारियों का मानना है कि इससे कृषि में बैलों का उपयोग तो पुनर्जीवित होगा ही बल्कि ग्रामीण परंपराओं का भी संरक्षण होगा।
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